शनिवार, 12 सितंबर 2015

गलती करने वाले के मारवाड़ी नाम

राजसथान मे जब किसी आदमी या बचचे  से गलती हो तो उसे इन नामों से पुकारते है 
झालर
डोफा
लठ
मोथा
बिलळा
बगना
ढोंढा
जिनावर
घोना
बागड़
लिगती
ठूंठ
गेचर
बळध
गाफळ
टंटेर
झाउ
खोपा
बोफा
गेलसफी टाट
ढोर
हापु
हिङकिया
हियाळ

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

गुरू महिमा

गुरू महिमा
आपद मेटी आप  गूढ तत्व रो ज्ञान दे
परा मिटाया पाप  जीवां जूणी जगत में

अंतस घोर अँधार गुरू उजाळा ज्ञान रा
शरणाई साधार. सहज मिलावै साँवरो

ऊजळ दीप उजास  मोह रैण मगसी पड़ी
परकट भयौ परकास परमरूप परख्यो भलो

तीखण तपिया ताप आप जाप जपिया अती
छोड़ी मो मन छाप देव रूप दरसण दिया

दीन्ही जननी देह आतम रूप आयो नहीं
सतगुरू सदा सनेह पूरण पण पलटावियो

रतनसिहं चाँपावत कृत

इण ब्रम्माण्ड में में घणा सूरज अर धरतियो हैं ।    

काल रे अखबार में एक खबर छपी के नासा (अमरीका री संस्था) इण बात ने मान लीनी हैं के इण ब्रम्माण्ड में में घणा सूरज अर धरतियो हैं ।       
जका बात हजारों बरसां पैली आपणा रीसी मुनी वेदो में लिख दिनी ।  इण बाबत लेखण हार री दीठ सूं आ हरख जैडी़ बात हैं ।. इण दीठ सूं तो आ सांचाणी हरख री बात हैं, के जिण जगै विग्यान अबै पूगो, वठै आपां हजारों बरसां पैली पूग गा हा ।पण इण रे साथे, इण बात रो थोडो़ दुख वियो के अपाणे माथा में ओ कांइ भूत बड़गो के जद तांइ आथूणला मिनख को ई बात नी मान ले, जद तांइ अपां खुद री बात ने नी मान सकां ।     
योग ने जद तांइ नी मानियो जद तांइ ओ आथूणला मुलकों में ओ घणो चावो नी व्हैगो, अर ओ योग री जगह योगा बणगो, आपणो मूलक घणो जूनो हैं ।अठारा रीती रीवाज, अठारी सनातन सूं चालती परम्परावां अर जीवण रो ढंग आखै संसार सूं निराळो हैं, इण रो कारण हैं, के जकी जूनी सभ्यतावां भारत रै साथे पनपी, वै सगळी समै रे फेर में काळ रै गाल में समाय गी ।   
पण आंपणी सनातन संस्क्रती लारलै हजारों बरसो सूं चाल री हैं ।पण आथूणला मिनखां री आ सोच के मैं जाणो जको इज साच हैं, बाकी सगळी बातां जूठ हैं ।अै लोग अैडौ़ भरम फैलाय दीयो के, आपणै अठारा भणिया पढिया लोग आप री जडा़ सूं एडा़ कटिया के वै सगळा वणारी बात इज मांने ।बानगी रे रूप में देखो तो आंपणे अठारा रा कमनिस्टो (कम्यूनिस्टो) ने भगवान राम अर किसन रे वैवण में शंका हैं ।  आप ने याद दीरावूं एकर भारत री सरकार कोट में हलफ नामो दियो के राम जी विया इ कोनी, इण कारण सेत बंध रामेसर री बात कूड़ी हैं ।  पछै ओ हलफ नामो पाछो लेवणो पड़ियो । आज सूं केइ बरसो पैली तक आंपणी इण बात वास्ते मजाक उडावता के भारत रा लोग रूखां ने देवता मांने, अबै सगळी दुनिया रे गळै आयी जद परयावरण रै नाम माथै रुंखा ने पोखण री बात करीजै ।भलां ही पुस्पक विमाण री बात वो अर भलां ही समुदर मथण री बात वो ओ ने तो कोरी भीलळायां इज लागती ।भारत रा भणिया पढिया अर अंगरेजीदा लोगो ने जद तक आथूणला देसां रा लोग हामळ नी भरले जदतक बातडी़ आंरे गळै को उतरेनी ।   
एक फेरूं बानगी देखो   ए सूर्य ने सूर्या कैसी, योग ने योगा,    क्रिष्ण ने क्रिष्णा आ तो व्ही बोली चाली री बात ।   जै कोइ आथूणा देसां री किणी पोथी में आंपणे मूलक रे नेता री, अभिनेता री या किणी खेलाडीं री चोखी  या भूंडी कोइ बात छपगी वै या कोइ चितराम मंडगो वै तो आपणो मीडिया आकाश  पताळ एक करदे ।इण    इण फिलमो वाळो  ने कोइ नाम नी मिळियो उठीने हाॅलीवुड तो अठीने बाॅलीवुड, दिखणाद में टाॅलीवुड ।फिलम ने आस्कर में नाम लिखावण वास्ते मर पुरा दे ।आपणा इतियास कारां रो तो कैवणो ही कांइ, ए तो आथूणी दीठ रो एडो़ चश्मो लगायो हैं, के आं ने भारत रे  शूरमाओ री बादरी (बहादुरी), आपणी विरासत रा बखाण, आपणी घणी गरवीली संस्क्रती रा गीत इण लोगां सूं गायी जे कोनी ।बातडी़ घणी लांबी व्हैगी, म्हारो केवण रो मतळब फक़त इतरो इज हैं, के क्यूं नी अपो ने आंपणे ब़डेरो रे ग्यान माथै, वारां त्याग  तप , अर वारां करियोडा़ घणा ऊंचा कामड़ा माथै गरब व्है? ।अर खुद रे माथै भरोसो क्यूं नी हैं ।? इण बात माथै जरूर विचार करावाड़ो   

सोमवार, 7 सितंबर 2015

फूट चाटगी भायाँ ने

मारवाङी कविता-
दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।
इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।
टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।
देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।
साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।
धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, 'मेगी' चावल चून खायगी ॥
राग रागनी फिल्मा खागी, 'सीडी' खागी गाणा ने ॥
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥
गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, 'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥
चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥
बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥
गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥
राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥
हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥
नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥
धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥
दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥
मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥
अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥
भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ॥

रविवार, 6 सितंबर 2015

माहरो पाडो

सर - तुम भेंस का दुध पिया करो बड़े आदमी बनजाओगे 


छात्र - रेवादो सर दुध पिवा ती कोई बडो आदमी वेतो तो आज माहरो पाडो कलेक्टर वेतो

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

घणी घणी बधाईयां

आप सगळां ने म्हारे अंतस सूं शिक्षक दिवस अर  जनम आटम (किसन जी रे जनम दिन)) री घणी घणी बधाईयां आ घणी सांतरी बात छै के देस में सरकारी शिक्षक दिवस हैं अर जगत रे गुरू कान्हे रो जनम दिन छै (क्रिष्णम् वन्दे जगद गुरूं) इण मोके अैक बात मन मांय आयी के गुरू जी रो मान सनमान करण री रीत आपणे देस में जुगों जुगों चाल री हैं जिण ने आपां गुरू पूनम कैवौ इण दिन सगळा गुरू जी री पूजा करे पछै ओ शिक्षक दिवस न्यारो किण कारण इण सूं जको बात म्हारे समझ आयी गुरू अर शिक्षक न्यारा न्यारा हैं दूजी बात आज रा शिक्षक गुरू जी नीं हैं आ बात पकी वै जावै खैर इण बात  रो पडूतर तो घणा भणिया पडिया मानवी दे सके पण अैक ब़ात जका म्हे निजर करणी चाहूं वा आ हैं कै शिक्षक किण ने कैवे? कांइ आज रा शिक्षक साचा अरथ में शिक्षक हैं? इण पर विचार करावाड़ो तो शिक्षक कुण हैं? जको आपरी जाणकारी, आपरी अक्ल हुसियारी, अर भमेक (विवेक) सूं आवळ वाळी पीढी ने सुतन्तर रूप जीवन में उजास लाण री सीख दे सके इणी ज भांत करमचारी कुण? जको कहयोड़ो कांम करे (भळायोडो काम करे) विण ने आप रे काम री रीत नीत अर रंग ढंग बणा वण अधिकार कोनी व्है इण दीठ सूं दैखा तो आज रा शिक्षक करमचारी कहया जा सके,,   कारण पोशाळाओं रो समै (टेम) राजनेता तै करे      ", ० भणन पढण री बाबत काइ सामग्री (पाठ्क्रम) व्है सी सरकार तै करसी              शिक्षक लैवण री रीत नीत मोटोड़ा अफसर तै करसी,      शिक्षक पोशाळ में कांइ करसी आ ब़ात राज नेता तै करसी (पढाणो हैं के, रोटी बाटी रो हिसाब किताब राखणो,, के ढोर गिणना ,, मिनख गिणना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,     )) पोशाळ में छुट्टियां कद रैसी राज नेता तै करसी,,,,,,, किण इलाका रा टाबरो ने घर घर जाय ने शिक्षक पोशाळ  में लावेला आ बात उपर सूं तै व्हैसी,,,,            , गिणती घणी लांबी व्है जासी,     मिनखां मूळ में इण बात रो विचार करो सुतन्तर भारत में जितरा प्रयोग भणाइ पढाइ रै मेकमे (विभाग) में विया जितरा दूजा कठैइ नी विया पण इण रो फ़ळ चायो जैडो कोनी मिळियो इण रो कारण कांइ है(१)जैडो राज आयो आपरै मुजब वेडी सगळी बातां बदळदी (२)आज री जका पढाइ री रीत नीत हैं जका आपणी परम्परा ने पोखण वाळी कोनी जका शिक्षा समाज री संस्क्रती उणरा उजळा पख,, ने उघाड़ अर दुनिया रे सामी नी लाय सके वा लोगो रे हिये नी ढूके इण दीठ सूं आ उधार लियोडी विवस्था (व्यवस्था) जमी कोनी,,, (३)सबसूं जरूरी बात माथै ध्यान नी जावै वा आ हैं के शिक्षा ने राज सता रे नीचे करदी भारत देस में जुगों जुगों सूं राज री सत्ता सूं. शिक्षक हमेश ऊचों रियो हैं, (राम रो राज,  चंद्रगुप्त मौर्य,) जद जद भारत में ही राज सता शिक्षक ने करमचारी बणायो,  तद विकास री जगै भिणाश (विनाश) ही वियो,  द्रोणाचारज (द्रोणाचार्य) इण री बानगी हैं विग्यान ने अणूती उचाई माथै पूगायां पछै मिनखां रो खोगाळ वियो कारण के राज सता ने मारग बतावण वाळो शिक्षक करमचारी बणगो इण टाणे अे बातां म्हारे मन में उफण गी आप मन रा मेळू हो इण खातर आप तांइ पूगाय दी   

आख़री टेम

एक बार एक हरियाणा का ताऊ मरणासन की कंडीशन में पहुँच गया

घर वालो ने कहा -- ताऊ आख़री टेम आ लिया ....इब तो राम का नाम ले ले

ताऊ बोल्या -- इब नाम के लेणा
....10 -15 मिनिट बाद आमना सामना
होलेगा