सोमवार, 31 अगस्त 2015

डिंगल भाषा विशुद्ध राजस्थानी गद्य

डिंगल भाषा विशुद्ध राजस्थानी गद्य उदाहरण
मणिहारी जा री सखी, अब न हवेली आव।
पीव मुवा घर आविया,  विधवा कवण बणाव।।
कुंडलिया छंद
धरा सदा नर वेधनी
चाळा नित चाहंत
भिड़े कटावै भाइयां
वळ पितु पूत विढंत
वळ पितु पूत विढंत
पियारी राज कज
कीधौ गोत कदन्न
अरजन चाप सज
आगे दांणव देव
किता ही आहुड़े
ले परव्रम अवतार
धरा कारण लड़े 
केवल चारण कवियों की भाषा
पिंगल ब्रज मिश्रित राजस्थानी ब्राह्मण, राव भाटों की भाषा
उदाहरण
जननी जने तो जन भदोरे जवार जिसा
नहीं तो बावरी तेरी कुख को बंधाय ले
एक रैन सुनी पीव आवन की
इक सुंदर नार सिंगार सजायो
पीळो ही केसर पीळो ही वेसर
पीळो ही हार हीये लिपटायो
पीव की खातिर पीळी भई
पर सांझ भयी पर पीव न आयो

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