कुं कु चावल थाल सजायो, हाथां लीवी राखड़ी,
मेड़ी चढ़ चढ़ जोवे बीरा, बहना थारी बाटड़ी,
मन में मुलके मृगनयनी, जामण जाओ घर आवेला,
माँ बापू रा समाचार सुण, हियो म्हारो भर जावेला,
दौडूला झट रोटोड़ी, बीरा रे गले मिल जाऊंला,
नैणां में छलकेला आंसू, बीरा सूं पूछवाउला,
दीप जला मैं करू आरती, कुं कु तिलक लगाउला,
मुंडे में मंगलेश देयने, चावल तिलक चढ़ाउला,
हंसती रोती साँचा मन सु,बांधुला में राखड़ी,
मेड़ी चढ़ चढ़ जोवे बीरा, बहना थारी बाटड़ी।
हैपी राखी...
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