एक मारवाड़ी ने यमराज पूछियो- स्वर्ग चाल सी की नरक ??
मारवाड़ी - बोलियो- मराज.. 2 पीसा मजूरी हुणि चाहिजे..कठे ही चाल ज्यावा.......
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एक मारवाड़ी ने यमराज पूछियो- स्वर्ग चाल सी की नरक ??
मारवाड़ी - बोलियो- मराज.. 2 पीसा मजूरी हुणि चाहिजे..कठे ही चाल ज्यावा.......
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"आपणी संस्कृति"
मारवाड़ी बोली
ब्याँव में ढोली
लुगायां रो घुंघट
कुवे रो पणघट
....................ढूँढता रह जावोला
फोफळीया रो साग
चूल्हे मायली आग
गुवार री फळी
मिसरी री डळी
....................ढूँढता रह जावोला
चाडीये मे बिलोवणो
बाखळ में सोवणों
गाय भेंस रो धीणो
बूक सु पाणी पिणो
........................ढूंढता रह जावोला
खेजड़ी रा खोखा
भींत्यां मे झरोखा
ऊँचा ऊँचा धोरा
घर घराणे रा छोरा
........................ढूंढता रह जावोला
बडेरा री हेली
देसी गुड़ री भेली
काकडिया मतीरा
असली घी रा सीरा
........................ढूंढता रह जावोला
गाँव मे दाई
बिरत रो नाई
तलाब मे न्हावणो
बैठ कर जिमावणों
.......................ढूँढता रह जावोला
आँख्यां री शरम
आपाणों धरम
माँ जायो भाई
पतिव्रता लुगाई
....................ढूँढता रह जावोला
टाबरां री सगाई
गुवाड़ मे हथाई
बेटे री बरात
राजस्थानी री जात
...................ढूँढता रह जावोला
आपणो खुद को गाँव
माइतां को नांव
परिवार को साथ
संस्कारां की बात
...................ढूंढता रह जावोला
सबक:- आपणी संस्कृति बचावो
रंगीलो राजस्थान - पधारो म्हारे Jodhpur
अरे घास री रोटी ही, जद बन बिलावडो ले भाग्यो |
नान्हों सो अमरयो चीख पड्यो, राणा रो सोयो दुःख जाग्यो ||
हूं लड्यो घणो, हूं सह्यो घणो, मेवाडी मान बचावण नै |
में पाछ नहीं राखी रण में, बैरया रो खून बहावण नै ||
जब याद करूं हल्दीघाटी, नैणा में रगत उतर आवै |
सुख दुख रो साथी चेतकडो, सूती सी हूक जगा जावै ||
पण आज बिलखतो देखूं हूं, जद राजकंवर नै रोटी नै |
तो क्षात्र धर्म नें भूलूं हूं, भूलूं हिन्वाणी चोटौ नै ||
आ सोच हुई दो टूक तडक, राणा री भीम बजर छाती |
आंख्यां में आंसू भर बोल्यो, हूं लिख्स्यूं अकबर नै पाती ||
राणा रो कागद बांच हुयो, अकबर रो सपणो सो सांचो |
पण नैण करया बिसवास नहीं,जद बांच बांच नै फिर बांच्यो ||
बस दूत इसारो पा भाज्यो, पीथल ने तुरत बुलावण नै |
किरणा रो पीथल आ पूग्यो, अकबर रो भरम मिटावण नै ||
म्हे बांध लिये है पीथल ! सुण पिजंरा में जंगली सेर पकड |
यो देख हाथ रो कागद है, तू देका फिरसी कियां अकड ||
हूं आज पातस्या धरती रो, मेवाडी पाग पगां में है |
अब बता मनै किण रजवट नै, रजुॡती खूण रगां में है ||
जद पीथल कागद ले देखी, राणा री सागी सैनांणी |
नीचै सूं धरती खिसक गयी, आंख्यों में भर आयो पाणी ||
पण फेर कही तत्काल संभल, आ बात सफा ही झूठी हैं |
राणा री पाग सदा उंची, राणा री आन अटूटी है ||
ज्यो हुकुम होय तो लिख पूछूं, राणा नै कागद रै खातर |
लै पूछ भला ही पीथल तू ! आ बात सही बोल्यो अकबर ||
म्हें आज सूणी है नाहरियो, स्याला रै सागै सोवैलो |
म्हें आज सूणी है सूरजडो, बादल री आंटा खोवैलो ||
पीथल रा आखर पढ़ता ही, राणा री आंख्या लाल हुई |
धिक्कार मनैं में कायर हूं, नाहर री एक दकाल हुई ||
हूं भूखं मरुं हूं प्यास मरूं, मेवाड धरा आजाद रहैं |
हूं घोर उजाडा में भटकूं, पण मन में मां री याद रह्वै ||
पीथल के खिमता बादल री, जो रोकै सूर उगाली नै |
सिहां री हाथल सह लैवे, वा कूंख मिली कद स्याली नै ||
जद राणा रो संदेस गयो, पीथल री छाती दूणी ही |
हिंदवाणो सूरज चमके हो, अकबर री दुनिया सुनी ही ||
बटुऐ में तो इयां लागे
जिया नाथुराम गोडसे बैठ्यो है☹
गाँधी जी ने टीकण ही कोनी देवे
जलती रही जौहर में नारियॉं
भेड़िये फिर भी मौन थे.!
हमे पढ़ाया अकबर महान
तो फिर 'महाराणा' कौन थे.?
क्या वो नहीं महान जो बड़ी-२
सेनाओं पर चढ़ जाता था.!
या फिर वो महान था जो सपने
में प्रताप को देख डर जाता था.!!
रणभूमि में जिनके हौसले
दुश्मनों पर भारी पड़ते थे.!
ये वो भूमि है जहॉ पर नरमुण्ड
घण्टो तक लड़ते थे.!!
रानियों का सौन्दर्य सुनकर
वो वहसी कई बार यहाँ आए.!
धन्य थी वो स्त्रियाँ,जिनकी
अस्थियाँ तक छू नहीं पाए.!!
अपने सिंहो को वो सिंहनिया
फौलाद बना देती थी.!
जरुरत जब पड़ती,काटकर
शीश थाल सजा देती थी.!!
पराजय जिनको कभी सपने
में भी स्वीकार नही थी.!
अपने प्राणों को मोह करे,वो
पीढी इतनी गद्धार नहीं थी.!!
वो दुश्मनों को पकड़कर
निचोड़ दिया करते थे.!
पर उनकी बेगमों को भी
माँ कहकर छोड़ देते थे.!!
तो सुनो यारों एेसे वहशी
दरिन्दो का जाप मत करो.!
वीर सपूतों को बदनाम करने
का पाप अब मत करो.!!
जय महाराणा प्रताप
आकङे रो हलीयो
नींबङे री नाई
रमतौ खेलतौ बाजरी भई
बाजरी रै बूटै मै ढैलङी बीयाई
ढैलङी रा बीसीया
राता है मौरै मौमौ सा माता है
बैगा ऊटजौ हल खङजौ
गरमा गरम खीच खाजौ
और टौकरीया बजाजौ
आका तीज रा गणा गणा राम राम सा
मीठी मनुहारा करता थकां, सुगन सगळा जोय”
छाय जमानो जोर को , अमृत वर्षा होय !
सुख-समृद्वि घर में होवे,घुल-मिल सगळा रेय”
हाली अमावस ऐड़ा सुगन,आप सब ने देय !
आप सब ने देय, खेतो नीपजे मोती ”
देवे बधाई धन्नो भक्त ,आई अमावस हलोती || हली अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएं