भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां लारे गेला
होग्या।
घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या,
चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।
कम्प्यूटर को आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,
पढ़ी-लिखी लुगायां ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।
घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।
छोरयां तो हूंती आई पण
आज पराया छोरा होग्या,
राल्यां तो उघड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।
इतिहासां में गयो घूंघटो,
पाऊडर पुतिया मूंडा होग्या,
झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल पुराणां टूंढ़ा होग्या।
भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या,
मोठ बाजरी ने कुण पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।
रूंख भाडकर ठूंठ लेयग्या
जंगळ सब मैदान होयग्या,
नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होयग्या।
मायड़भाषा ने भूल गया,
अंगरेजी का दास होयग्या,
टांग कका की आवे कोनी
ऐमे बी.ए. पास होयग्या।
सत संगत व्यापार होयग्यो,
बिकाऊ भगवान होयग्या,
आदमी रा नाम बदलता आया,
देवी देवता रा नाम बदल लाग्या
भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होयग्या।
ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या,
सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।
बिना मूँछ रा मरद होयग्या,
लुगायां रा राज होयग्या,
दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।
तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या,
कांकण डोरां खुलियां पेली
परण्या बींद कंवारा होग्या।
बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या,
इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज
फूल-फूल कर लम्बा हो गया
दिवलो करे उजास जगत में
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।
मन मरजी रा भाव होयग्या,
पंसेरी रा पाव होयग्या,
ओ थाने चोखो लाग्यो हुव तो औरा ना भी भेजनो मति भुलज्यो।
राम-राम सा।
राजस्थानी की रचनाये चुटकुले कविताये rajasthani marwari jodhpuri kahawate jokes gk poems facts
सोमवार, 21 मार्च 2016
पईसां लारे गेला होग्या।
रविवार, 20 मार्च 2016
राजस्थान री धोरां धरती
पुराणां समै री बात है , राजस्थान री धोरा धरती में ऊनाळै रै दिनां में दो सहेलियां कांकङ (वनक्षेत्र) में लकङियां लावण ने गई ।
रस्ते में व्है देखियौ के दो हीरण मरियोङा पङिया हा अर उणां रै बीच में एक खाडा में थोङो सो"क
पाणी भरीयौ हौ । जद एक सहैली कह्यौ ----
खङ्यौ नी दीखै पारधी ,
लग्यौ नी दीखै बाण ।
म्है थने पूछूं ऐ सखी ,
किण विध तजिया प्राण ।।
( है सखी , अटे कोई शिकारी नजर नी आय रियौ है अर इणां रै बाण भी नी लागोङो है तो ऐ हीरण किकर मरिया ? )
तो दुजोङी सहैली उण ने उत्तर दियौ --
जळ थोङो नेह घणो ,
लग्या प्रीत रा बाण ।
तूं -पी तूं-पी कैवतां ,
दोनूं तजिया प्राण ।।
( इण सुनसान रोही में दोनूं हीरण तिरस्या हा , पाणी इतरौ ही हौ के एक हीरण री तिरस(प्यास ) मिट सके , पण दोयां में सनेह इतरो हौ के उणां मांय सूं कोई एक पीवणीं नी चावतो । इण खातर दोइ एक -दूजा री मनवार करता करता प्राण तज दिया ।)
राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां में इतरो नेह अर हेत है , तो अटा रै मिनखां रै नेह रो उनमान नी लगां सकां ।
शनिवार, 19 मार्च 2016
मोरूडा
मोरूडा अमरीका मे मोदी मोदी बोल्यो रे ,,, मोरूडा कांग्रेसिया ने दाय कोनी आयो रे,,,मोरूडा सोनिया रो मुडो चुप करायो रे,,, मोरूडा फेसबुक मे तिरंगो लहरायो रे,,
मोरूडा वोटसऐप मे घणो हाल्यो रे
मोरूडा दोस्तो रे दाय घणो आयो रे
मोरूडा चाइना ने लारे छोड आयो रे,,,मोरूडा गजब रो धमाल थें मचायो रे।
मार धूड़ में लठ्ठ
फागणिया कुंडळिया :-
⊙ मार धूड़ में लठ्ठ ⊙
- नवल जोशी
फागण तो फगवाड़ियौ , झल्यां न छोडै झट्ट ।
लगतां ई फागीजग्या , जिद कर बेली जट्ट ॥
जिद कर बेली जट्ट , लाय हरियाणै लागी ।
तीस हजार करोड़ , फूँक ढबिया बड़भागी ॥
बळी मूँज रा बट्ट , जियां 'जे एन यू' भाषण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , छोरलां मांड्यौ फागण ॥१॥
अच्छा दिन लायौ अजब , ताबड़तोड़ बजट्ट ।
मध्यम वर्ग मजूर सिर , ऊँधौ पड़्यौ उलट्ट ॥
ऊँधौ पड़यौ उलट्ट , बैंक उळझाया आंटा ।
पइसा करो इकठ्ठ , भरो सरकारी घाटा ॥
सौ खण करो बचत्त , पछा लो साठ मूळधन ।
मार धूड़ में लठ्ठ , बजट लायौ अच्छा दिन ॥२॥
धर धीरज सिर बाजणा, बरसां बरस बटीड़ ।
फागण महिनौ फागटौ , भिड़तां धरै भचीड़ ॥
भिड़तां धरै भचीड़, बजट कर नांखै भोटा ।
नीची अपणी नाड़ , मथै बाजंता सोटा ॥
निकळ जावसी बट्ट ,' टैक्स सरचारज' भर भर ।
मार धूड़ में लठ्ठ , साँस मत लै धीरज धर ॥३॥
फागण गिगनाटै चढ़्यौ , धूड़ मेह घन गाज ।
विजय मालियौ नाठग्यौ, बेबस अपणौ राज ॥
बेबस अपणौ राज , नवा नित काढै कांडा ।
बगलां राखै पाळ , पीवणा इजगर बांडा ॥
गिट बैंकां गड़गट्ट , टकौ नीं पड़ै चुकावण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , खेल परदेशां फागण ॥४॥
फागण खेलै मुलक में , बारै मास धमाळ ।
कर घोटाळा भाग जा , रखै राज रुखवाळ ॥
रखै राज रुखवाळ , ललित मोदी गुण गावै ।
सात समुंदर पार , रासलीलावां ठावै ॥
गयौ मालियौ नठ्ठ , उणी मारग पर सागण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , लूट धन खेलै फागण ॥५॥
छत्तीसा धुर छप्पना , डीगा जम्फर डील ।
भलां भलां रा पूतळा , फागण देवै खील ॥
फागण देवै खील , मच्यां होळी हुड़दंगा ।
राजा गिणै न रंक , निपट कर नांखै नंगा ॥
ऊँधा पड़ै उलट्ट , कीच में काढै घीसा ।
मार धूड़ में लठ्ठ , जाय पाधर छत्तीसा ॥६॥
जी भर कीचड़ खूंद लै , पछै न मिळसी पोल ।
चँग चढ़ियां चौपाळ में , फागण देसी खोल ॥
फागण देसी खोल , पोल ढोलां रै ढमकै ।
होळी चढ़्यां हबोळ , बट्ट बळ जासी हमकै ॥
फागण पाधरपट्ट , रखै ना लाज रती भर ।
मार धूड़ में लठ्ठ , खूंद लै कीचड़ जी भर ॥७॥
- नवल जोशी
मजो मारवाड़ी चुटकुलों को !
ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को !!
धणी- आज सजधज के कठे जा री से?
लुगाई- आत्महत्या करणे जा री सुं
धणी- तो इत्तो मेकअप क्यूँ करयो है
लुगाई- काल अख़बार म्हें म्हारो फोटू भी तो छपसी
मारवाड़ी की पत्नी, "म्हने लागे म्हारी छोरी को अफेयर चालु है"।
पति: वो क्यूँ?
पत्नी: "पॉकेट मनी" कोनी माँगे आजकल।
पति: हे भगवान, इं को मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी है।
एक मारवाड़ी को एक्सीडेंट हो ग्यो.....
डाक्टर बोल्यो-टांकों लगाणो पड़ेगो
मारवाड़ी- कित्तो पीसो लागेगो?
डाक्टर-2000 रिपया लागसी
मारवाड़ी- अरे !!!
भाया ....टाँकों लगाणों है...एंब्रोईडरी
कोणी करवाणी.....
.......मारवाडी ......
छोरो - आई लव यू
छोरी - चूप रे गेलसप्पा, एक लेपड मेलियो नी तो सीधो जोधपुर पुगेला
छोरो - थोडो धीरे मार जे , नागौर मे थोडो काम हैं।
एक मारवाडी भगवान सु
अरज करे से ---
हे मारा छतीस करोड़ देवी देवता
मारे ज्यादा कइ कोनी छावे
बस
आप सब मने एक -एक रुपया
री मदद कर दो महारो जीवन
सफल होजाए .....!
गुरुवार, 3 मार्च 2016
आओ पाछा गाँव चाला
आओ पाछा गाँव चालां
छोटा सा गाँव मेरा,
पूरा बिग बाजार था...!!
एक नाई,
एक मोची,
एक कालिया लुहार था..!!
छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बङा दिलदार था..!!
कही भी रोटी खा लेते, हर घर मे भोजऩ तैयार था..!!
बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे, जिसके आगे शाही पनीर बेकार था...!!
दो मिऩट की मैगी ना पितज़्ज़ा,
झटपट टिकड़ॉ , भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था...!!
नीम की निम्बोली और बोरिया सदाबहार था....
छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...!!
रसोई के परात या घड़ा को बजा लेते,
भंवरू पूरा संगीतकार था...!!
मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते, साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था...!!
और फिर कबड्डी खेल लेते,
हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था..!!
दादी की कहानी सुन लेते,
कहाँ टेलीविज़न और अखबार था...!!
भाई -भाई को देख के खुश था, सभी लोगों मे बहुत प्यार था..!!
छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...!!!
शनिवार, 27 फ़रवरी 2016
केर सांगरी रो साग
एक नौजवान हावड़ा स्टेशनपर मिला।
कहने लगा -
"मेरी जेब से पर्स कही गिर गया है,
बस मुझे हावड़ा से धनबाद पहुंचने तक के पैसे दे दीजिये ।
टिकट 105 रूपयेका है । और आगे धनबाद रेलवे स्टेशन से मैं पैदल अपने घर चला जाऊंगा ।
बस 105 रूपये चाहिये।
वैसे मै बहुत संपन्न परिवार से हूँ । मुझे मांगते हुए झिझक महसूस हो रही है ।"
मारवाड़ी ने कहा -
"इसमे शर्माने वाली कोई बात नहीं है,
कभी मेरे साथ भी ऐसा हो सकता है l
ये लो मेरा फोन,
अपने घर वालो से बात करो,
कहो कि
मेरे इस नबंर पर 200 रूपयेका रिचार्ज करवा दें और तुम मुझसे 200 रूपये नकद ले लो ।
तुम्हारी परेशानी खत्म ।"
वो व्यक्ति बिना कुछ बोले आगे बढ गया।
केर सांगरी रो साग
ओर मारवाड़ी रो दिमाग
आखा जग में इरो तोड़ कोणी
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