मंगलवार, 29 सितंबर 2015

बेटा दूध उजाळियो ,तू कट पड़ियो जुद्ध।

बेटा दूध उजाळियो ,तू कट पड़ियो जुद्ध।
नीर न आवै मो नयन ,पण थन आवै दूध।
(माँ कहती है बेटे तू मेरे दूध को मत लजाना ,युद्धमें पीठ मत दिखाना ,वीर की तरह मरना तेरे बलिदानपर मेरे आँखोंमें अश्रु नहीं पर हर्ष से मेरे स्तनों मेंदूध उमड़ेगा)

गिध्धणि और निःशंक भख ,जम्बुक राह म जाह।
पण धन रो किम पेखही ,नयन बिनठ्ठा नाह ।
( युद्ध में घायल पति के अंगों को गिद्ध खा रहे हैं,इस पर वीर पत्नी गिध्धणी से कहती है ,तू और सब अंग खाना पर मेरे पति के चक्षु छोड़ देना ताकि वो मुझे चिता पर चढ़ते देख सकें. )

इला न देणी आपणी ,हालरिया हुलराय।
पूत सिखावै पालनैं ,मरण बड़ाई माय।
(बेटे को झूला झुलाते हुए वीर माता कहती है पुत्र अपनी धरती जीते जी किसी को मत देना ,इस प्रकार वह बचपन की लोरी में ही वीरता पूर्वक मरने कामहत्त्व पुत्र को समझा देती है। )

एक डोकरी मर गी.

एक डोकरी मर गी.

वीका पाँच ही बेटा रो रया हा,

पेलो बेटो- बाई थु कां मरी, मने भी लारे लेन जाती.

दूसरो बेटो - बाई थु कां मरी,मने भी लारे लेन जाती.

युं का युं सारा बेटा बोल्या

पाछे बेठा एक बासा बोल्या
बेटा थारी बाई  बोलेरो  लेर थोड़ी गी जो था ने सबने लारे लेर जाती।

ऐ म्हारी मॉ म्हे कठेई कोनी जाऊ

कोलम्बस ने अमेरीका की खोज की

यदी उसकी लुगाई RAJASTHAN की होती तो कभी अमेरीका की खोज नही कर सकता क्यो ? 
.
क्यो की वो बहुत ज्यादा सवाल करती !
. सिद जाओ
.कीने साथे जाओ
.किण वास्ते जाओ
.कई खोजणे जाओ
.वापस कद आवोला
.कितो टाईम लागेला
.अटे कोनी खोजिजे कई
.नही खोज्या चाले कोनी
.हर बार थेईज क्यु जाओ
.मे अटे एकली कई करूला
थाने तो बस दोस्ता रे साथे मटरगस्ती करनी है
मै भी थारे साथे चालुला
.अन्त ने कोलम्बस जवाब देता

ऐ म्हारी मॉ म्हे कठेई कोनी जाऊ

तेजाजी की विरासत

तेजाजी की विरासत
(1) श्री वीर तेजाजी : शेषावतार लक्ष्मण जी
(2) जन्म तिथि : माघ शुक्ला चतुर्दशी, गुरुवार
वि.स. 1130
29 जनवरी 1074 ई.
(3) पिता : श्री ताहङदेव जी (थिरराज) धौलिया
(4) माता : श्रीमती रामकुंवरी
(5) वंश : नाग वंश की धौलिया जाट शाखा
(6) खांप : चौहान
(7) नख : खींची
(8) जन्म स्थल : खरनाल (नागौर)
(9) विवाह : पीले पोतङों में पुष्कर के नाग घाट पर
पुष्कर पूर्णिमा वि.स 1131
(10) पत्नी : पेमल
(11) ससुर : रायमल जी मुहता
(12) ससुर का गौत्र : झांझर जाट
(13) सासु : बोदल दे
(14) सासु का गौत्र : काला जाट
(15) ससुराल : शहर पनेर
(16) भाई : रुपजी, रणजी, गुणजी, महेश जी, नगजी
(17) भाभियाँ : रतनाई, शेरां, रीतां, राजा, माया
(18) बहिन : राजल
(19) बहनोई : नाथाजी सिहाग
(20) बहिन के ससुर : जोरा जी सिहाग
(21) बहिन का ससुराल : तबीजी (अजमेर)
(22) ननिहाल : त्योद व अठ्यासन
(23) नाना : दुल्हण जी सोढी
(24) गुरु : गुसांई जी व मंगलनाथ जी
(25) लाछां की संपत्ति : गौ माताएं
(26) वीरगति की निशानी : मेंमद मौलिया
(27) मेंमद मौलिया वाहक : आँसू देवासी
(28) तेजाजी के दुश्मन : सासु बोदल दे व काला गौत्री बालू नाग
(29) तेजाजी का खेत : खाबङ खेत (खरनाल)
(30) तेजाजी का तालाब : गैण तालाब (इनाणा व मूङावा के बीच)
(31) तेजाजी का रास्ता : तेजा पथ
(32) घाटा : लोकल घाटा (मालास परबतसर)
(33) नदी : पनेर की नदी
(34) तेजाजी का वचन : सत्यवाद
(35) तेजाजी की मर्यादा : नुगरां की धरती में वासा ना करां
(36) तेजाजी का व्रत : ब्रम्हचर्य
(37) सम्बोधन : सत्यवादी वीर तेजाजी
(38) माता का बोल : तेजा का बोयोङा मोती निपजे
(39) तेजाजी के साक्षी : चांद, सूरज व खेजङी वृक्ष
(40) बासग नाग द्वारा वरदान : काला बाला रोग चिकित्सा, घर घर पूजा
(41) तेजाजी देवता : सर्प विष चिकित्सा, कृषि उपकारक, पशुधन तारक
(42) पेमल का आशीर्वाद : पूजा से बस्ती नगर रोग निवारण
(43) तेजाजी की चिकित्सा पद्धति : गौमूत्र, नीमपत्र, काली मिर्च, देशी गाय का घी, देशी गाय के गोबर के कण्डो की भभूत
(44) तेजाजी का ध्वज : चांद, सूरज, नाग, खेजङी वृक्ष युक्त
(45) तेजाजी का भोग : देशी गाय का कच्चा दूध, नारियल, मिश्री
(46) तेजाजी के जागरण की रात व व्रत : भादवा सुदी नवमी हर वर्ष
(47) तेजाजी का शकुन : जागती जोत
(48) तेजाजी का गीत : गाज्यो गाज्यो जेठ आषाढ
(49) तेजाजी के गीत की प्रथम गायिका : लाछां गुर्जरी
(50) तेजाजी के गीत की पुन: रचना : बींजाराम जोशी
(51) तेजाजी का शिलोका : पूनमचन्द सिखवाल
(52) तेजाजी ख्याल : पं. अम्बालाल
(53) भक्ति : सालिगराम
(54) ईष्ट देव : शंकर भगवान
(55) सेवा : गौ माता
(56) कर्म : गौचारण, कृषि, युवराज पद दायित्व
(57) धर्म : गौरक्षा, न्याय, सत्यवाद
(58) तीर्थ : तीर्थराज पुष्कर
(59) वीरगति स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(60) दाह संस्कार स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(61) पेमल का सती स्थल : सुरसुरा (अजमेर)
(62) घोङी का नाम : लीलण
(63) प्रमुख शस्त्र : भाला
(64) सहअस्त्र शस्त्र : ढाल-तलवार, धनुष बाण
(65) रण संग्राम स्थल : मण्डावरिया पहाङी की तलहटी एवं चांग का लीला खुर न्हाल्सा करणाजी की डांग (पाली)
(66) प्रतिपक्षी : चांग के चीतावंशी मेर मीना
(67) मीना का सरदार : कालिया
(68) तेजाजी के साथी : पाँचू, खेता, जेता
(69) पेमल की सखी : लाछां गुर्जरी (चौहान खाँप)
(70) लाछां का गांव : रंगबाङी का वास पनेर (अजमेर)
(71) लाछां के पति : नन्दू गुर्जर
(72) लाछां की निशानी : लाछां बावङी

जनणी जणै तौ ऐङौ जणै,

"जनणी जणै तौ ऐङौ जणै,
कै दाता कै शूर ।
नींतर रहज्यै बाँझङी,
मती गमाज्यै नूर..॥"

"इला न दैणी आपणी,
हालरियै हुलराय ।
पूत सिखावै पालणै,
मरण बङाई मांय ॥"

धिन है.. वीर माता नै,
अर
निवण है..पूत सिखावण पिता नै,
इणरै साथै ई जसजोग कोख नै,
जिकी जगदीस जिस्यौ जबर जोधौ जायौ...!!

जळमभोम... जगदीस नै झुरै !
कीरत री वारता,
अर
जबर जस री ध्वजा...
जग मांय गूँजै...!
जांभाणी जोध जगचावै जगदीस री,
जय...जय...!!

भारतभौम रै शीश हिंवाळै माथै,
आज रै दिन जाँझरकै री बैळा,
जळमभौम री रुखाळी करताँ थकाँ कांम आया,
हिन्द री फौज रै मतवाळै मोट्यार सपूत जगदीस नै,
हियै री कोर तंणी...अंतस सूँ,
'सिरधाञ्जळि'...!

सांचाणी आज मुरधर रौ नागौर परगनौ
अर पाँचलै गाँव री माटी गरब करै,
जांभाणी न्यात अर गोदारा गोत रौ वीर बेटौ जगदीस,
वीरता री नुंवी गाथा रचनै अमर व्हैगो !
सीमाङै रै सपूत री,
सहादत नै सौ वळां....निंवण...!

जय हिन्द ............

सोमवार, 28 सितंबर 2015

सुन्दर सन्देश

बहुत सुन्दर सन्देश

एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हे बुरा नही लगता ??

मधुमक्खी ने बहुत सुंदर जवाब दिया :

.तु थारो काम कर

रविवार, 27 सितंबर 2015

मारवाडी को फांसी

मारवाडी को फांसी की सजा सुनाई गयी ..

जज ने पूछा- कोई आखिरी ख्वाहिश?

मारवाडी - म्हारी जगह थे लटक जाओ