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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

मन तुं धीरज धार

 मन तुं धीरज धार

पांखां सांधी पंखियां, 
उड़िया दरिया पार।
रुत वळ्या आसी वळै,
मन तू धीरज धार।।१।।

पंछी ने उड़ान भरी, दरिया के पार चला गया।
मौसम बदलने पर अवश्य लौटेगा हे मन तुं धैर्य रख।।

संगी साथी रूठिया, 
तोड़े दिल रा तार।
नेह बध्या फिरि आवसै,
मन तुं धीरज धार।।२।।

स्वजन यदि रूठ कर मन से रिश्ता तोड़ने पर उतारू हो जाय,
लेकिन स्नेह का बंधन उन्हें वापस ले आएगा हे मन तुं धैर्य रख।।

बखत बावळो देखकर, 
चुप रहवा में सार।
आसो बख्त आसी अवस, 
मन तुं धीरज धार।।३।।

खराब समय मे चुप रहना ठीक,
अच्छा समय अवश्य आएगा,धैर्य रखें।

डगमग तरणी डगमगै,
पकड़ हाथ पतवार।
तारण वाळो तारसी,
मन तुं धीरज धार।।४।।

नाव डगमगा रही है पर तुं मजबूती से पतवार थाम, ईश्वर अवश्य ही तूफान से पार उतारेगा धैर्य रख।।