मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

साच दोल़ा तो ताल़ा छै

साच  दोल़ा तो ताल़ा छै।
मिनक्यां रै हाथां माल़ा छै।।

रंगियोड़ै घूमै स्याल़   गल़्यां 
हुकी  !हुकी !अर चाल़ा छै।।

भरमजाल़ में भोल़ा-ढाल़ा,
जीभ धूतां  रै  जाल़ा  छै।।

रागा  अनै  वैरागा  सरखा। 
घर -घर कागा  काल़ा छै।।

जात -जात रा न्यारा झंडा।
गल़  मिनखां  रै  टाल़ा छै।।

चढ -चढ आवै भीर बावल़ा।
पंच  जावता  पाल़ा  छै।।

लोकतंत्र  रो  हाको-हूको।
राजतंत्र रा ढाल़ा  छै।।

कुए वायरै जहर घोल़ रह्या।
मन -मन आडा गाल़ा छै।।

हाव-भाव सूं मती ठगीजो।
सह  नागां  रा साल़ा छै।।

बहै अराड़ा हेत हबोल़ा।
ऐ  बरसाती  नाल़ा  छै।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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