गहणां गांठा गजब रा जीवां बड़ो जतन्न
मिनखां सूं मोळा घणा मिनकी माथै मन्न
मरतो भूखो मानखो औदर मिले न अन्न
दुनियादारी दोगली मिनकी माथै मन्न
पुरसारथ रे पांण तो दोरो ढकणो तन्न
अनीति आमद करै जद मिनकी माथै मन्न
मिनकी मुख फेरे नहीं कितरा करो कळाप
अे सी बी ने ओळबा परो मिटावो पाप
मिनखां से मिनकां बड़ा भला सराया भाग
जुर जुर जीवै जूण ने करमां बोले काग
मिनकी बड़ी महान .मेंबरशिप माडे थन्ने
नहीं टिकट नादान निर्दल थन्ने जीतावस्यां ...
रतन सिंह चंपावत
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