शनिवार, 30 जुलाई 2016

थाकी बैठी आज डोकरी।


थाकी बैठी आज डोकरी।
राखी घर री लाज डोकरी।।
वडकां बांधी,भुजबल पोखी।
काण कायदै पाज डोकरी।।
कदै नवेली दुलहण आंगण।
होती ही सिरताज डोकरी।।
कदै रूप भंमराता भंमरा।
पिव रो होती नाज डोकरी।।
सावण सुरंगी तीज लागती
भादरवै री गाज डोकरी।।
खाणो,पीणो,गाणो, रंजण।
इकडंकियो घर राज डोकरी।।
राजा राणी कितरी काणी।
हरजस वाणी साज डोकरी।।
साजै- मांदै आंणै- टांणै।
सबरै हाजर भाज डोकरी।।
समै देख फसवाड़ो फोर्यो।
खुद घर झेलै दाझ डोकरी।।
खुन पसीनो पायर पोस्या।
वां कीनी बेताज डोकरी।।
बहुवां देख सिकोतर आई।
बेटा बणिया बाज डोकरी।।
हाथ माथै नैं दे पिसतावै।
कर अपणो अक्काज डोकरी।।
सब रा ओगण देख विसारै।
क्षमा भर्योड़ी जाझ डोकरी।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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