सदा न संग सहेलिया,सदा न राजा देश|
सदा न जुग मे जीवणा सदा न काळा केश||
सदा न फुले केतकी सदा न सावण होय|
सदा न विपदा रह सके सदा न सुख भी कोय||
सदा न मौज बसंत री सदा न ग्रीसम भाण||
सदा न जोबन थिर रहे सदा न संपत माण||
सदा न कांहु की रही गळ प्रितम क बांह|
ढळता-ढळता ढळ गई तरवर की सी छांह||
[जय जय राजस्थान ]
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