साच दोल़ा तो ताल़ा छै।
मिनक्यां रै हाथां माल़ा छै।।
रंगियोड़ै घूमै स्याल़ गल़्यां
हुकी !हुकी !अर चाल़ा छै।।
भरमजाल़ में भोल़ा-ढाल़ा,
जीभ धूतां रै जाल़ा छै।।
रागा अनै वैरागा सरखा।
घर -घर कागा काल़ा छै।।
जात -जात रा न्यारा झंडा।
गल़ मिनखां रै टाल़ा छै।।
चढ -चढ आवै भीर बावल़ा।
पंच जावता पाल़ा छै।।
लोकतंत्र रो हाको-हूको।
राजतंत्र रा ढाल़ा छै।।
कुए वायरै जहर घोल़ रह्या।
मन -मन आडा गाल़ा छै।।
हाव-भाव सूं मती ठगीजो।
सह नागां रा साल़ा छै।।
बहै अराड़ा हेत हबोल़ा।
ऐ बरसाती नाल़ा छै।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी