सवाल:::राष्टगान में राजस्थान का नाम क्यों नही
(उत्तर::यह गौरव की बात है)
(क्योंकि राजपूताना अंग्रेजो का गुलाम नही था)
सर्वप्रथम यह गान 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था,जिसमे ब्रिटेन के राजा "जार्ज पँचम" मुख्य अथिति थे.....इस गान में राजा जार्ज पँचम को ही अधिनायक (सुपर हीरो) और "भारत का भाग्य विधाता" कहा गया था.
**28 दिसम्बर 1911 को कलकत्ता के अंग्रेजी दैनिक "The English man" अखबार ने यह कहा की यह "गीत ब्रिटेन के राजा जार्ज पँचम" के लिए खुशामदी में गाया गया था.
**इसके बाद कांग्रेस और रविन्द्र नाथ टैगोर की बहुत आलोचना हुई थी.
**लोगो ने रवींद्रनाथ टैगोर से इस पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही परन्तु वे चुप रहे.
**सन 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को "नोबेल पुरस्कार मिला था....यह पुरुस्कार उसी अधिनायक की कृपा से मिला....ऐसा लोगो का आरोप है.
**संविधान सभा ने जन-गण-मन हिंदुस्तान के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था।
(इस राष्ट्रगान में पंजाब, सिन्धु, गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल एवं विन्ध्या हिमाचल प्रदेशो के नाम है,तथा यमुना और गंगा दो नदियों के नाम है.......परन्तु राजपुताना (राजस्थान) का नाम कंही नही है)
::::::::::::::::::::::सवाल:::जबाब ::::::::::::::::::::::::
***राजपुताना(राजस्थान) का नाम क्यों नही***
(1)दरअसल यह गीत ब्रिटेन के राजा जार्ज पँचम के गुणगान में गाया गया था....जो "ब्रिटिश इंडिया" के अधिनायक/शासक थे.
(2)जैसा कि सर्व विदित है #राजपुताने (राजस्थान) की सभी रियासते "सेल्यूटेड-प्रिंसली स्टेट" थी....वो ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा नही थी.
" सेल्यूटेड प्रिंसली स्टेट" का मतलब:-
#राजपुताना (राजस्थान) के सभी राजा "हिज हाईनेश" कहलाते थे.... तथा जब भी ये राजा दिल्ली सरकारी यात्रा पर जाते थे तो उनको "तोपो की सलामी" दी जाती थी....तथा "लाल कालीन" बिछाया जाता था.
जैसा कि विदित है "हिज हाईनेश" शब्द तथा "तोपो की सलामी" विदेशी शासक जब भारत की यात्रा में आता है तो यह सम्मान दिया जाता है.
(4)भारत की सभी 562 रियासतों में से सिर्फ 108 रियासते "सेल्यूटेड-प्रिंसली स्टेट" की श्रेणी में आती थी....राजस्थान के सभी के सभी राजा "सेल्यूटेड-प्रिंसली स्टेट" केटेगरी में थे.
(5)इन राजाओ से ब्रिटेन ने सन 1818 में जो संधि की थी, वह सिर्फ विदेश नीति के मामले तक मे थी.
(6)"सेल्यूटेड प्रिंसली स्टेट" के अंदरूनी मामलों पर ब्रिटेन का कोई हस्तक्षेप नही था.....राजपुताना (राजस्थान) की सभी 22 रियासतें खुद अपने आप मे Governments थीं.
जैसे:-
Government of JODHPUR
Government of JAIPUR
Government of UDAIPUR
Government of BIKANER
Government of KOTA
Government of BUNDI
Government of SIROHI
Government of BHARATPUR
आदि ...इस तरह सब
(8)राजपुताना(राजस्थान)में ब्रिटिश इंडिया के कानून नही चलते थे....प्रमाण के लिये स्टेट टाइम का कोई भी सरकारी कागजात आपके घर मे पड़ा हो तो चेक कर लेंवे.
(9)जबकि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बंगाल,बिहार, पंजाब,महाराष्ट्र, गुजरात,सिंध आदि "ब्रिटिश इंडिया" का हिस्सा थे.
(10)जब अंग्रेज भारत छोड़ कर गए थे.....तब उन्होंने सिर्फ "ब्रिटिश इंडिया" को आजाद किया था..."प्रिंसली स्टेट"को नही...अंग्रेजों ने राजाओ से जो सन्धि सन 1818 में की थी उसको रद्द करके गए थे.
(11)1947 में सभी प्रिंसली स्टेज के राजा पुनः सपूर्ण अधिकार से सम्प्रभुता संपन्न शासक हो गए थे.....वह स्वतंत्र थे चाहे भारत मे मिले या पाकिस्तान में या स्वतंत्रत रहे.
:::::::::यही कारण है की ::::राष्टगान में राजस्थान का नाम नही है ::::::::
(1)जब "सेल्यूटेड प्रिंसली स्टेट" ब्रिटेन के अधीन थी ही नही ....तो फिर राष्टगान में नाम नही लिख सकते थे.....क्योंकि इन स्टेट के भाग्यविधाता इनके राजा थे....न कि जार्ज पंचम.
(2)उस वक्त हर प्रिंसली स्टेट का खुद का "राष्टगान" तथा झण्डा होता था.
जैसे जोधपुर स्टेट का राष्टगान था ...
"धूंसो बाजे छे महाराजा थारो मारवाड़ में...."
तथा
ध्वज :"पंचरंगा" झंडा था....जो अभी भी किले और "उम्मेद भवन" पर लगा हुआ है.
अतः राष्टगान में राजस्थान का नाम नही होना गौरव की बात थी....क्योंकि राजपुताना (राजस्थान) अंग्रेजों का गुलाम नही रहा....
जबकि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बंगाल,बिहार, पंजाब,महाराष्ट्र, गुजरात,सिंध आदि राज्य "ब्रिटिश इंडिया" का हिस्सा थे और अंग्रेजों के गुलाम थे।
अमर सिंह चौहान
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