पाकिस्तान में शाही शानो-शौकत का जीवंत प्रतीक रहे अमरकोट राजवंश के राजा और प्रख्यात राजनेता राणा चंद्र सिंह सोढा का निधन हो गया है. वे 79 वर्ष थे.
राणा चंद्र सिंह ने कराची के एक अस्पताल में आख़िरी साँस ली जहाँ वे कुछ दिनों से भर्ती थे और उन्हें 2004 से लकवे की बीमारी थी.
उनके चार बेटे हैं और वे 63 वर्षों तक ठाकुरों के अमरकोट राजवंश के राजा रहे. उनके निधन के बाद बड़े बेटे कुवंर हमीर सिंह को परंपरागत तरीक़े से राजा बनाया जाएगा.
राणा चंद्र सिंह के निधन की ख़बर से पूरे प्रांत में शोक की लहर छा गई और हिंदू बहुल ज़िलों अमरकोट, मीरपुर ख़ास और मिट्ठी में कारोबार बंद हो गया.
राणा चंद्र सिंह का जन्म सिंध के ज़िले अमरकोट के गाँव राणा जागीर में 1930 में हुआ और वहीं से उन्होंने प्राथमिक क्षिशा प्राप्त की.
उन्होंने भारत के शहर देहरादून से ग्रेजुएशन की और 24 साल की उम्र में राजनीति में क़दम रखा.
राजनीति में नाम
उनकी शादी बीकानेर के राजा रावत तेज सिंहजी की पुत्री रानी सुभाद्र कुमारी से हुई. रानी सुभद्रा कुमारी की बहन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पत्नी थी.
पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में राणा चंद्र सिंह का अच्छा-ख़ासा नाम रहा है. वे लगातार आठ बार संसद के सदस्य बने और कई बार केंद्रीय मंत्री भी रहे.
सिंध की राजनीति में राणा चंद्र सिंह का एक ख़ास स्थान और प्रभाव था.वे पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के करीबी मित्र थे.
राणा चंद्र सिंह का नाम उस समय काफ़ी मशहूर हुआ जब वे उस वक़्त की प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का हिस्सा बने.
1990 के चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय एसेंबली की सीट पर जीत प्राप्त की और नवाज़ शरीफ की सरकार का समर्थन किया.
राणा चंद्र सिंह का अंतिम संस्कार ठाकुरों के रीति रिवाज़ों के मुताबिक़ उनके पैतृक गाँव राणा जागीर में किया जाएगा.
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