फागणिया कुंडळिया :-
⊙ मार धूड़ में लठ्ठ ⊙
- नवल जोशी
फागण तो फगवाड़ियौ , झल्यां न छोडै झट्ट ।
लगतां ई फागीजग्या , जिद कर बेली जट्ट ॥
जिद कर बेली जट्ट , लाय हरियाणै लागी ।
तीस हजार करोड़ , फूँक ढबिया बड़भागी ॥
बळी मूँज रा बट्ट , जियां 'जे एन यू' भाषण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , छोरलां मांड्यौ फागण ॥१॥
अच्छा दिन लायौ अजब , ताबड़तोड़ बजट्ट ।
मध्यम वर्ग मजूर सिर , ऊँधौ पड़्यौ उलट्ट ॥
ऊँधौ पड़यौ उलट्ट , बैंक उळझाया आंटा ।
पइसा करो इकठ्ठ , भरो सरकारी घाटा ॥
सौ खण करो बचत्त , पछा लो साठ मूळधन ।
मार धूड़ में लठ्ठ , बजट लायौ अच्छा दिन ॥२॥
धर धीरज सिर बाजणा, बरसां बरस बटीड़ ।
फागण महिनौ फागटौ , भिड़तां धरै भचीड़ ॥
भिड़तां धरै भचीड़, बजट कर नांखै भोटा ।
नीची अपणी नाड़ , मथै बाजंता सोटा ॥
निकळ जावसी बट्ट ,' टैक्स सरचारज' भर भर ।
मार धूड़ में लठ्ठ , साँस मत लै धीरज धर ॥३॥
फागण गिगनाटै चढ़्यौ , धूड़ मेह घन गाज ।
विजय मालियौ नाठग्यौ, बेबस अपणौ राज ॥
बेबस अपणौ राज , नवा नित काढै कांडा ।
बगलां राखै पाळ , पीवणा इजगर बांडा ॥
गिट बैंकां गड़गट्ट , टकौ नीं पड़ै चुकावण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , खेल परदेशां फागण ॥४॥
फागण खेलै मुलक में , बारै मास धमाळ ।
कर घोटाळा भाग जा , रखै राज रुखवाळ ॥
रखै राज रुखवाळ , ललित मोदी गुण गावै ।
सात समुंदर पार , रासलीलावां ठावै ॥
गयौ मालियौ नठ्ठ , उणी मारग पर सागण ।
मार धूड़ में लठ्ठ , लूट धन खेलै फागण ॥५॥
छत्तीसा धुर छप्पना , डीगा जम्फर डील ।
भलां भलां रा पूतळा , फागण देवै खील ॥
फागण देवै खील , मच्यां होळी हुड़दंगा ।
राजा गिणै न रंक , निपट कर नांखै नंगा ॥
ऊँधा पड़ै उलट्ट , कीच में काढै घीसा ।
मार धूड़ में लठ्ठ , जाय पाधर छत्तीसा ॥६॥
जी भर कीचड़ खूंद लै , पछै न मिळसी पोल ।
चँग चढ़ियां चौपाळ में , फागण देसी खोल ॥
फागण देसी खोल , पोल ढोलां रै ढमकै ।
होळी चढ़्यां हबोळ , बट्ट बळ जासी हमकै ॥
फागण पाधरपट्ट , रखै ना लाज रती भर ।
मार धूड़ में लठ्ठ , खूंद लै कीचड़ जी भर ॥७॥
- नवल जोशी
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