कागां धवल़ धारिया चोल़ा
हंसां रा खिंडग्या छै टोल़ा
मठ मंदर मे बुगला बैठा
ज्यांरा चरण चांप र्या भोल़ा
राज तिकड़मी तोतक रासो
लखिया सो भर र्या छै झोल़ा
सिंद्धातां रो कीं नीं बटणो
कहग्या लोग गजब रा गोल़ा
मीठै ऊपर भणकै माख्यां
ढूंढी उपर गि़डक दोल़ा
तोतक रासो साव तमासो
गूंगा गावै सुण र्या बोल़ा
सुणै नही को ग्यान गरीबी
करग्यो दास कबीरो रोल़ा
श्रीमान गिरधारी दान जी द्वारा रचित.
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