शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

हर कोई भरे बटका

हर कोई भरे बटका

घूमावा नहीं ले जावो,
तो घरवाळी भरे बटका |

घरवाळी रो ज्यादा ध्यान राखो,
तो माँ भरे बटका |

कई काम कमाई नी करो,
तो बाप भरे बटका |

पैईसा टक्का ना दो,
तो टाबर भरे बटका |

कई खरचो नी करो,
तो दोस्त भरे बटका |

थोड़ोक कई , केई दो,
तो पड़ौसी भरे बटका |

पंचायती में नी जावो,
तो समाज भरे बटका |

जनम मरण में नी जावो,
तो सगा संबंधी भरे बटका |

छोरा छोरी  पढ़े नहीं
तो मास्टर भरे बटका |

पूरी फीस नी दो ,
तो डाक्टर भरे बटका |

साधन रा कागज ना तो',
तो पुलिस भरे बटका |

मांगी रिश्वत ना दो,
तो साब भरे बटका |

चावता वोट ना दो,
तो नेता भरे बटका |

टेमसु उधार ना चुकाओ,
तो सेठ भरे बटका |

टाईमु टाईम किश्ता नी जमा करावो,
तो बैंक मैनेजर भरे बटका |

नौकरी बराबर नी करो,
तो बोस भरे बटका |

अबे आपई वताओ,
जार कठे जावा,

अठे हर कोई भरे बटका |
अठे हर कोई भरे बटका | |

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

म्हारी एैडी़  मान्यता हैं

लारला कैइ दिन, इण बात रो  बि़चार करण में निकळ गया के  समाज री, देस री, अर दुनिया री, सेवा करण सांरू निकळया मिनख आपस में क्यूं लडै़ ? इण रो कारण कांइ हैं के व्है सगळा एकण साथे रैय ने व्है आप रे समाज री, देस री अर दुनिया री सेवा नी कर सके ? इण रा मोकळा कारण व्है सके ।पण म्हने एडो लखावे के इण रो एक कारण सेवा रे नाम माथै, खुद रे अैंकार (अंहकार) ने तिरपत करणो हैं । आप इण दीठ सूं विचार करावो के  लगै टगै सगळा मिनखां ने खुद री न्यारी ओलखाण राखण री तगडी़ भूख व्है ।इण भूख ने तिरपत करण रे वास्ते लोग तरै तरै रा जतन करै ।कोइ घणा रूपिया कमावे, कोइ बिणज वोपार करे, कोइ राज रो मोटो अहलकार बणै इण भांत विण रे रूपिया री भूख तिरपत व्है ।पण अैंकार रा कैइ रूप व्है, अर घणा झीणा व्है पकड़ में आवै कोनी ।जद रूपिया घणा व्है जावै अर ओहदो ऊचों व्है जावै तद प्रतिष्ठा री भूख जाग जावै । प्रतिष्ठा री भूख पइसा (पैसा) री भूख सूं घणी तकडी़ व्है ।इण ने तिरपत करण खातिर मिनख घणी जुगत अर जनम करे ।कोइ सराय धरम शाळ बणाय आप रो नाम मोटा आखरां में लिखावे, तो कोइ किणी री अबखी वैळा में मदद करै ।कोइ आप रा संगठण बणाय लोगां री दिन रात सेवा करण सांरू निकळ जावै ।इण भांत जद लोगां रा काम निकळै जद लोग इणां ने भर भर मूंडा ने घणी आशीष दैवे ।अर इण लोगां ने खुद ने ही एडौ़ इज लखावे के सांचाणी व्है समाज री सेवा इज कर रह्या हैं इण भांत जद प्रतिष्ठा में जद बाधैपो घणो व्है जावै तद इणां री भूख में इण सूं सवायो बाधैपो व्है जावै  । अबै इणां ने आप री बात सबसूं सिरै लागै, अर खुद रो काम सगळा सूं ऊचों दिखै ।इण भांत मिनख में आप रे अनुयायां री भूख जागै विण ने अैडा़ मिनख घणा सुहावै जका आंखिया मीच ने बात माने, मोडा़ बैगा ऐडा़ मिनख मोकळा आंने मिळ जावै, जका इयांरा जै  जै कार करे ।इण भांत भीतर में भरियो अैंकार पतिजै अर आदमी खुद ने सेवा करण वाळो समझण लाग जावै । पण जद कोइ दूजो मिनख इणीज भांत रा काम करण लागै तद इण रा अैंहकार माथै चोट पडै, दूजा मिनख री तारीफ  सहन कोनी व्है  । काळजा  में लाय लाग जावै, हीये में धपळका  उठे  के  म्हारे जैडो़  दूजो कुण ।जद विण ने रोकण रा जतन करै ।इण में साथे रैवण वाळा चेला चांटी बळती लाय में पूळा नाखण रो काम करे ।इण में जद नवो पख हार मान आपरो रस्तो बदळ दैवे तद तो ठीक हैं ।पण जद दोनूं पख सेवा रे नाम माथै खुद रे मायला अैंहकार ने पोखण वाळा व्है जद भिड़न्त टळै कोनी ।अर देस रा, समाज रा, दळ रा अर संगठण रा दोय फाड़ व्है जावै ।इण सूं सबसूं मोटो नुकसान ओ व्है के  समाज रा चावा  ठावा अर नेम धरम सूं चालण वाळा, रीत री अर नीती री बात करण वाळा लारलै छैडै़ जावै परा अर कांनो करलै अर समाज में ओछी सोच रा अर लड़ण भिड़ण वाळा आगे आ जावै अर वां री चार आंनी चालण लागै । म्हारो मानणो हैं  के सेवा तो अैक  स्वभाव हैं जिण रो कारण हीये री पीड़ हैं ,विदको किणी री मदद कर सकूं, किणी रे काम आय सकूं,  आ सोच राखण वाळो ही सेवा कर सके, अर विण रो किणी रे साथे झगडो़ नी व्है सके  म्हारी एैडी़  मान्यता हैं ।   

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

हिंदी बोलेंगे,

एक बार गांव के स्कूल में नये
मास्टर ने कहा आज से सब
हिंदी बोलेंगे,,,
थोडी देर बाद में पिछे से
आवाज आयी
"सरजी "रामुडा लारे से डुका मार रहा हे"

राठोड़ राजपूतो - की उत्तपति

||जय माँ नागणेच्या री ||
आज हम आप सब को राठौड़ राजपूतो के वारे मे
परिचय करा रहे हैं, आशा हैं आपको पोस्ट पसन्द आयेगी

राठोड़ राजपूतो - की उत्तपति सूर्यवंशी राजा के
राठ (रीढ़) से उत्तपन बालक से हुई है इस लिए ये राठोड कहलाये,
राठोरो की वंशावली मे
उनकी राजधानी कर्नाट और कन्नोज बतलाई गयी है!
राठोड सेतराग जी के पुत्र राव सीहा जी थे!
मारवाड़ के राठोड़ उन ही के वंशज है! राव सीहा जी ने करीब
700 वर्ष पूर्व द्वारिका यात्रा के दोरान मारवाड़ मे आये और
राठोड वंश की नीव रखी! राव सीहा जी राठोरो के आदि
पुरुष थे !
अर्वाचीन राठोड शाखाएँ खेडेचा, महेचा , बाडमेरा , जोधा ,
मंडला , धांधल ,
बदावत , बणीरोत , चांदावत , दुदावत , मेड़तिया ,
चापावत , उदावत , कुम्पावत , जेतावत , करमसोत बड़ा ,
करमसोत छोटा , हल सुन्डिया , पत्तावत , भादावत , पोथल ,
सांडावत , बाढेल , कोटेचा , जैतमालोत , खोखर , वानर ,
वासेचा , सुडावत , गोगादे , पुनावत , सतावत , चाचकिया ,
परावत , चुंडावत , देवराज , रायपालोत , भारमलोत , बाला ,
कल्लावत , पोकरना . गायनेचा , शोभायत , करनोत ,पपलिया ,
कोटडिया , डोडिया , गहरवार , बुंदेला ,
रकेवार , बढ़वाल , हतुंधिया , कन्नोजिया , सींथल , ऊहड़ ,
धुहडिया , दनेश्वरा , बीकावत , भादावत ,बिदावत आदि……
राठोड वंश
Vansh – Suryavanshi
वेद – यजुर्वेद
शाखा – दानेसरा
गोत्र – कश्यप
गुरु – शुक्राचार्य
देवी – नाग्नेचिया
पर्वत – मरुपात
नगारा – विरद रंणबंका
हाथी – मुकना
घोड़ा – पिला (सावकर्ण/श्यामकर्ण)
घटा – तोप तम्बू
झंडा – गगनचुम्बी
साडी – नीम की
तलवार – रण कँगण
ईष्ट – शिव का
तोप – द्न्कालु
धनुष – वान्सरी
निकाश – शोणितपुर (दानापुर)
बास – कासी, कन्नोज, कांगडा राज्य, शोणितपुर,
त्रिपुरा, पाली, मंडोवर, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़,
इडर, हिम्मतनगर, रतलाम, रुलाना, सीतामऊ, झाबुबा,
कुशलगढ़, बागली, जिला-मालासी,
अजमेरा आदि ठिकाना दानसेरा शाखा का है
दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार।
सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार।।
व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ !
गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !!
दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण॥

पंद्रह का पहाड़ा बोलो

एक बार सीबीएसई स्कूल रा एक बेन जी गाँव री स्कूल में पढ़ावण नै गिया। कक्षा में
पपिया नै उबौ कर नै कियो - "Speak the table of fifteen."
पपियो - कई केवो सा?
बेन जी - अरे पंद्रह का पहाड़ा बोलो।
पपियो - अमार बोलूँ सा..

पन्दरे एका पन्दरे
पन्दर दूणा ती
ती पैंताला
चौका सांठ
पाणया पिचोत्तर
छकड़ा नब्बे
सातू पिचड़ोतड़
अंटू बी'आ
नम पैतीया
ढबाक डेढ़ सौ !

.
.. वा बेन जी अजै तक कोमा में इज है।

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

थन समझाऊँ बार हजार कालजो मत बाल

~एक बार एक गणित के अध्यापक से उसकी
पत्नी ने गणित मे प्यार के दो शब्द कहने को
कहा,
पति ने पूरी कविता लिख दी ~
म्हारी गुणनखण्ड सी नार, कालजो मत बाल
थन समझाऊँ बार हजार,
कालजो मत बाल
1. दशमलव सी आँख्या थारी,
न्यून कोण सा कान,
त्रिभुज जेडो नाक,
नाक री नथनी ने त्रिज्या जाण,
कालजो मत बाल
2. वक्र रेखा सी पलका थारी,
सरल भिन्न सा दाँत,
समषट्भुज सा मुंडा पे,
थारे मांख्या की बारात,
कालजो मत बाल
3.रेखाखण्ड सरीखी टांगा थारी,
बेलन जेडा हाथ,
मंझला कोष्ठक सा होंठा पर,
टप-टप पड रही लार,
कालजो मत बाल
4.आयत जेडी पूरी काया थारी,
जाणे ना हानि लाभ,
तू ल.स.प., मू म.स.प.,
चुप कर घन घनाभ,
कालजो मत बाल
5.थारा म्हारा गुणा स्युं.
यो फुटया म्हारा भाग ।
आरोही -अवरोही हो गयो,
मुंडे आ गिया झाग ।
कालजो मत बाल
म्हारी गुणनखण्ड सी नार कालजो मत बाल
थन समझाऊँ बार हजार कालजो मत बाल

पिली धरती पथ वाली,धन धोरा रो देश।

पिली धरती पथ वाली,धन धोरा रो देश।
अमर पागड़ी वीर री,कैसर बारनो बेस।
जरणी जाया नाहर सम,ऐडा वीर सपूत।
तेजस धन या मरुधरा,धन धन या राजपूत ।।