मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

भान जी दल जाडेजा

आज हम एक ऐसे वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा के बारे में बताने जा रहे है जिसने अपने राज्य पर बुरी नजर रखनेवाले मुगलों को गाजर मूली की तरह काटा | इतना ही नहीं तो उनका नेतृत्व करने वाले अकबर को भागने पर मजबूर कर दिया !लेकिन दुर्भाग्य देश का कि नई पीढी को इस वीर योद्धा के बारे में पढाया और सुनाया ही नही गया !भान जी दल जाडेजा ने अकबर को बुरी तरह परास्त किया और उसे भागने पर मजबूर कर दिया और साथ ही साथ उसके52 हाथी, 3530 घोड़े पालकिया आदि अपने कब्जे में ले लिए !1576 ईस्वी में मेवाड़,गोंड़वाना के साथ साथ गुजरात भी मुगलो से लोहा ले रहा था | गुजरात में स्वय अकबरऔर उसका सेनापति कमान संभालेथे ! अकबर ने जूनागढ़ रियासत पर1576 ईस्वी में आक्रमण करना चाहा तब वहां के नवाब ने पडोसी राज्य नवानगर (जामनगर) के राजा जाम सताजी जडेजा से सहायता मांगी ! क्षत्रिय धर्म के अनुरूप महाराजा ने पडोसी राज्य जूनागढ़ की सहायता के लिए अपने 30000 योद्धाओ को भेजा जिसका नेतत्व कर रहे थे नवानगर के सेनापति वीर योद्धा भान जी दल जाडेजा !सभी योद्धा देवी दर्शन के पश्चात् तलवार शस्त्र पूजा कर जूनागढ़ की सहायता को निकले, पर माँ भवानी को कुछ औरही मंजूर था ! उस दिन जूनागढ़ के नवाब ने अकबर की विशाल सेना के सामने लड़ने से इंकार कर दिया व आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गया ! नवानगर के सेनापति ने वीर भान जी दल जाडेजा को वापस अपने राज्य लौट जाने को कहा ! इस पर भान जी और उनके वीर योद्धा अत्यंत क्रोधित हुए ! भानजी जडेजा ने सीधे सीधे जूनागढ़ नवाब को  कहा “क्षत्रिय युद्ध के लिए निकला है तो या तो जीतकर लौटेगा या फिर रण भूमि में वीर गति को प्राप्त करेगा” !वहां सभी वीर जानते थे की जूनागढ़ के बाद नवानगर पर आक्रमण होगा ही, इसलिए सभी वीरो ने फैसला किया कि वे बिना युद्ध किये नही लौटेंगे! अकबर की सेना लाखो में थी ! उन्होंने मजेवाड़ी गाँव के मैदान में अपना डेरा जमा रखा था ! भान जी जडेजा ने मुगलो के तरीके से ही कुटनीति का उपयोग करते हुए आधी रात को युद्ध लड़ने का फैसला किया !सभी योद्धा आपस में गले मिले फिर अपने इष्ट देव का स्मरण कर युद्ध स्थल की ओर निकल पड़े! आधी रात हुई और युद्ध आरम्भ हुआ !रात के अँधेरे में हजारोमुगलो को काटा गया ! सुबह तक युद्ध चला, मुगलो का नेतृत्व कर रहा मिर्ज़ा खान और मुग़ल सेना अपना सामान छोड़ भाग खड़ी हुयी !हालांकि अकबर इस युद्धस्थल से कुछ ही दूर था, किन्तु उसनेभी स्थिति की गंभीरता को भांपकर पैर पीछे खींचने में ही भलाई समझी |वह भी सुबह होते ही अपने विश्वसनीय लोगोके साथ काठियावाड़ छोड़कर भाग खड़ा हुआ !नवानगर की सेना ने मुगलो का 20कोस तक पीछा किया ! जो हाथ आये वो मारे गए !अंत में भान जी दल जाडेजा ने मजेवाड़ी में अकबर के शिविर से 52 हाथी 3530 घोड़े और पालकियों को अपने कब्जे में ले लिया !उस के बाद यह काठियावाड़ी फ़ौज नवाब को उसकीकायरता की सजा देने के लिए सीधी जूनागढ़ गयी ! जूनागढ़ किले के दरवाजे उखाड दिए गए ! ये दरवाजे आज जामनगर में खम्बालिया दरवाजे के नाम से जाने जाते है और आज भी वहां लगे हुए है !बाद में जूनागढ़ के नवाब को शर्मिन्दिगी और पछतावा हुआ उसने नवानगर महाराजा साताजी से क्षमा मांगी और दंड स्वरूप् जूनागढ़ रियासत के चुरू ,भार सहित 24 गांव और जोधपुर परगना (काठियावाड़ वाला) नवानगर रियासत को दिए ! कुछ समय बाद बदला लेने की मंशा से अकबर फिर 1639 में आया किन्तु इस बार भी उसे"तामाचान की लड़ाई" में फिर हार का मुँह देखना पड़ा! इस युद्ध का वर्णन गुजरात के अनेक इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में किया है, जिनमें मुख्य हैं - नर पटाधर नीपजे, सौराष्ट्र नु इतिहास के लेखक शम्भूप्रसाद देसाई, Bombay Gezzetarium Published by Govt of Bombay, विभा विलास, यदुवन्स प्रकाश की मवदान जी रतनु आदि में इस शौर्य गाथा का वर्णन है !भान जी दल जाडेजा ने इसके बाद सम्वत 1648 में भूचर मोरी में मुगलों के विरुद्ध अपना अंतिम युद्ध लड़ा | इस युद्ध में अपना पराक्रम दिखाते हुएवे शहीद हुए ! सच में भान जी दल जाडेजा का नाम इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में स्वर्णाक्षरों में अंकित ह
www.katha4u.blogspot.in

आपणी संस्कृति बचावो।

"आपणी संस्कृति"

मारवाड़ी बोली
ब्याँव में ढोली
लुगायां रो घुंघट
कुवे रो पणघट
ढूँढता रह जावोला.....

फोफळीया रो साग
चूल्हे मायली आग
गुवार री फळी
मिसरी री डळी
ढूँढता रह जावोला.....

चाडीये मे बिलोवणो
बाखळ में सोवणों
गाय भेंस रो धीणो
बूक सु पाणी पिणो
ढूंढता रह जावोला.....

खेजड़ी रा खोखा
भींत्यां मे झरोखा
ऊँचा ऊँचा धोरा
घर घराणे रा छोरा
ढूंढता रह जावोला.....

बडेरा री हेली
देसी गुड़ री भेली
काकडिया मतीरा
असली घी रा सीरा
ढूंढता रह जावोला.....

गाँव मे दाई
बिरत रो नाई
तलाब मे न्हावणो
बैठ कर जिमावणों
ढूँढता रह जावोला.....

आँख्यां री शरम
आपाणों धरम
माँ जायो भाई
पतिव्रता लुगाई
ढूँढता रह जावोला.....

टाबरां री सगाई
गुवाड़ मे हथाई
बेटे री बरात
ठांकरा री जात
ढूँढता रह जावोला.....

आपणो खुद को गाँव
माइतां को नांव
परिवार को साथ
संस्कारां की बात
ढूंढता रह जावोला.....

सबक:- आपणी संस्कृति बचावो।

बुधवार, 30 मार्च 2016

जय जय मारवाडी

एक अंग्रेज ट्रेन से सफ़र कर रहा था .....

सामने एक मारवाड़ी का बच्चा बैठा था...

अंग्रेज ने बच्चे से पूछा यहाँ  सबसे ज्यादा खतरनाक कौन सी समाज  हैं ???

बच्चा:" महाराष्ट्रीयन,पंजाबी, गुजराती, हरयाणवी,और सबसे ज्यादा तो मारवाड़ी...."

अंग्रेज : "क्यों ... क्या ये बाकी कम खतरनाक
हैं क्या ???"

बच्चा : " नहीं ... ये सब खुद में महाभारत हैं ....."

अंग्रेज : 'ओह ~~~ इनके पास जाना डेंजरस है'..

[कुछ देर पश्चात]

अंग्रेज : 'मैं कैसे जान सकता हूँ कि कौन
सा व्यक्ति कितना खतरनाक है ?'

बच्चा: 'बैठा रह शान्ति से ... अभी दस घंटे के सफ़र
में सबसे मिलवा दूंगा'....

कुछ ही देर बाद हरियाणा का एक
चौधरी मूंछों पे ताव देता हुआ बैठ गया ।

बच्चा: 'भाई ये हरियाणवी है ...'

अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ?'

बच्चा: "चुपचाप बैठा रह और मूंछों पर ताव देता रह.. ये खुद बात करेगा तेरे से'...

अंग्रेज ने अपनी सफाचट मूछों पर ताव दिया..

चौधरी उठा और अंग्रेज के दो कंटाप जड़े -
'बिन खेती के ही हल चला रिया है तू ..?'
-
-
थोड़ी देर बाद एक मराठी आ के बैठ गया ...
बच्चा : 'भाई ये मराठी है ...'

अंग्रेज : 'इससे बात कैसे करूँ ?'

बच्चा : 'इससे बोल कि बाम्बे बहुत बढ़िया ..'

अंग्रेज ने मराठी से यही बोल दिया..

मराठी उठा और थप्पड़ लगाया - "साले बाम्बे नहीं मुम्बई ... समझा क्या"
-
-
थोड़ी देर बाद एक गुजराती सामने आकर बैठ
गया।

बच्चा : 'भाई ये गुजराती है ...'

अंग्रेज गाल सहलाते हुए : 'इससे कैसे बात करूँ ?'

बच्चा : 'इससे बोल सोनिया गांधी जिंदाबाद ...'

अंग्रेज ने गुजराती से यही कह दिया
गुजराती ने कसकर घूंसा मारा - 'नरेन्द्र
मोदी जिंदाबाद...एक ही विकल्प- मोदी'..
-
-
थोड़ी देर बाद एक सरदार जी आकर बैठ गए ।
बच्चा : 'देख भाई ये पंजाबी है ...'

अंग्रेज ने कराहते हुए पूछा - 'इससे कैसे बात करूँ ..'

बच्चा : 'बात न कर बस पूछ ले कि 12 बज गए क्या ?'

अंग्रेज ने ठीक यही किया ...

अंग्रेज : 'ओ सरदार जी 12 बज गए क्या ?

सरदार जी ने आव देखा न ताव अंग्रेज को उठा के
नीचे पटक दिया...

सरदार : साले खोतया नू ... तेरे को मैं मनमोहन
सिंह लगता हूँ जो चुप रहूँगा'....
-
-
पहले से परेशान अंग्रेज बिलबिला गया .
..
खीझ के बच्चे से  बोला : इन सबसे
मिलवा दिया अब मारवाड़ी से भी मिलवा दो'
.
.
बच्चा  बोला - "तेरे को पिटवा कौन रहा । है....!"t         
     जय जय मारवाडी ।।।

जय राजस्थान

आँखों के दरमियान मैं गुलिस्तां दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मैं आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
खेजड़ी के साखो पर लटके फूलो की कीमत बताता हुँ,
मै साम्भर की झील से देखना कैसे नमक उठाता हुँ|
मै शेखावाटी के रंगो से पनपी चित्रकला दिखाता हुँ,
महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा सुनाता हुँ|
पद्मावती और हाड़ी रानी का जोहर बताता हुँ,
पग गुँघरु बाँध मीरा का मनोहर
दिखाता हुँ|
सोने सी माटी मे पानी का अरमान
बताता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|
हिरन की पुतली मे चाँद के दर्शन कराता हुँ,
चंदरबरदाई के
शब्दों की वयाख्या सुनाता हुँ|
मीठी बोली, मीठे पानी मे जोधपुर की सैर करता हुँ,
कोटा, बूंदी, बीकानेर और हाड़ोती की मै मल्हार गाता हुँ|
पुष्कर तीरथ कर के मै चिश्ती को चाद्दर चढ़ाता हुँ,
जयपुर के हवामहल मै, गीत मोहबत के गाता हुँ|
जीते सी इस धरती पर स्वर्ग का मैं वरदान दिखाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||
कोठिया दिखाता हुँ, राज हवेली दिखाता हुँ,
नज़्ज़रे ठहर न जाए कही मै आपको कुम्भलगढ़ दिखाता हुँ|
घूंघट में जीती मर्यादा और गंगानगर का मतलब समझाता हुँ,
तनोट माता के मंदिर से मै विश्व
शांति की बात सुनाता हुँ|
राजिया के दोहो से लेके, जाम्भोजी के उसूल पढ़ाता हुँ,
होठो पे मुस्कान लिए, मुछो पे ताव देते राजपूत की परिभाषा बताता हुँ|
सिक्खो की बस्ती मे, पूजा के बाद अज़ान सुनाता हुँ,
आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|| 
जय जय राजस्थान

मरुधर देश

" केसर नह निपजे अठे न हीरा निपजन्त , धड
कटिया खग सामणां , इण धरती उपजन्त ।
जल उण्डो थल ऊजलो , नारी नवले वेश , पुरख
पटाधार नीपजै , धनी है मरुधर देश ।।"

मंगलवार, 29 मार्च 2016

मारवाड़ी सिनेमा हाल में

एक मारवाड़ी सिनेमा हाल में cold drink की बोतल लेके बैठा था.

हर 15-20 मिनट पर बोतल को मुँह से लगा रहा था.

बगल में बैठे सरदार को गुस्सा आ रहा था.
उसने बोतल छीनी और एक ही बार में  गटक कर बोला: ले पकड़  ऐसे पीते हैं .

मारवाड़ी  -पर में तो बोतल में विमल थूक रियो तो भाई

राजस्थान दिवस पर बधाईया

राजस्थान दिवस पर बधाईया

आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठा मोरां री
ईं धरती रो रूतबो ऊंचो, आ बात कवै कूंचो कूंचो,

आं फोगां में निपज्या हीरा, आं बांठां में नाची मीरा,
पन्ना री जामण आ सागण, आ ही प्रताप री मा भागण,

दादू रैदास कथी वाणी, पीथळ रै पाण रयो पाणी,
जौहर री जागी आग अठै, रळ मिलग्या राग विराग अठै,

तलवार उगी रण खेतां में, इतिहास मंड़योड़ा रेतां में,
बो सत रो सीरी आडावळ, बा पत री साख भरै चंबळ,

चूंडावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दिया क्षत्राणी,
ईं कूख जलमियो भामासा, राणा री पूरी मन आसा,

बो जोधो दुरगादास जबर, भिड़ लीन्ही दिल्ली स्यूं टक्कर,
जुग जुग में आगीवाण हुया, घर गळी गांव घमसान हुया,

पग पग पर जागी जोत अठै, मरणै स्यूं मधरी मौत अठै,
रूं रूं में छतरयां देवळ है, आ अमर जुझारां री थळ है,

हर एक खेजड़ै खेड़ा में, रोहीड़ा खींप कंकेड़ा में
मारू री गूंजी राग अठै, बलिदान हुया बेथाग अठै,

आ मायड़ संतां शूरां री, आ भोम बांकुरा वीरां री,
आ माटी मोठ मतीरां री, आ धूणी ध्यानी धीरां री,

आ साथण काचर बोरां री, आ मरवण लूआं लोरां री
आ धरती गोरा धोरां री, आ धरती मीठै मोरां री।