शनिवार, 12 दिसंबर 2015

कृपा करकै आगे-नै मर ल्यो।

हरियाणा रोडवेज प्रशासन को शिकायत मिली कि हरियाणा रोडवेज के कंडक्टर बहुत बदतमीजी से बोलते
हैं !
उन्होने फौरन आदेश दिया कि सभी कंडक्टर कुछ भी कहने से पहले "कृपया" शब्द का इस्तेमाल करेंगे !
दूसरे दिन एक बस में कई आदमी चढ़ गए और दरवाजे पर लटक लिये। थोड़ी देर बाद कंडक्टर आया और
बोला ---- "कृपा करकै आगे-नै मर ल्यो।"

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

Marwari Chhora send whatsapp msg to his class teacher-

Marwari Chhora send
whatsapp msg to his class teacher-

सेवा रे माय
               श्रीमान साब,
               प्रधाना मारसाब
                 रा.उच.प्रा.वि.
       हरियाढाना जिलो(जोधपर)
विषय- घरे काम है-

महोदय,
              आज मारे घरे राबोडी, बडिया करी सा जीको मने ढानीया ढपानीया ऊ खाटी छा लानी पडी जीको आज तो स्कूल आवनो मुशकिल है सा तो आज री हाजरी भर दिजो नी मारसाब. काले पावेक भरी राबोडी बडिया आप रे ई लेने आइजाऊ!

               आप रो आघ्याकारी
                    नाम- गबरियो
          हाजरी लमबर-भाकरीया ने ठा हे पूछ लीजो

ठीक मारसाब अबे डागले जाऊ नी तो पछे रोबोडी बडिया चिडिया कमेडिया खाजाई....

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

हरियाणवी आदमी जवाब उल्टे नही देता...

हरियाणवी आदमी जवाब उल्टे नही देता... लोग सवाल उल्टे करते हैं। नहीं यकीन आता, तो पढ़िए मस्त जोक

जज: तू तीसरी बार अदालत आया है, तने शर्म कोनी आती?

आदमी: तू तो रोज़ आवे है, तने तो डूब के मर जाना चाहिए ।

ग्राहक: थारी भैंस की एक आंख तो खराब सै, फेर भी तू इसके 25 हज़ार रुपये मांगन लाग्र्या सै?

आदमी: तन्नै भैंस दूध खात्तर चाहिए या नैन-मटक्का करन खात्तर..?????

हज़्ज़ाम: ताऊ, बाल छोटे करने है के...?

ताऊ: बड़े कर सके है के !!

एक दिन पड़ोस का हरयाणवी छोरा आ के बोल्या-

" रे चाचा, अपनी इस्त्री देदे... "

चाचा ने अपनी जनानी की ओर  इसारा करया और बोला- " ले जा, वा बैठी.. "

छोरा चुप चाप देखन लाग्या...
बोला- " चाचा यो नहीं, कपडे वाली.."

चाचा बोल्या- " भले मानस, यो तन्ने बगेर कपड़े दिखे है के ??? "

छोरा गुस्से में चीखा- " रा चाचा
बावला ना बन, करंट वाली इस्त्री.."

चाचा- " बावले, हाथ ते लगा के देख...जे ना मारे करंट, फेर कहिये..."

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

श्मशान की चाबी

Jai Haryana

30 दिन से बिना बताये घर से गायब एक हरियाणवी
पति घर लौटा
पत्नी - मैं थारे गम में बीमार पड़ी थी, जै मैं मर जाती तो
पति~तो मैं कोण सा श्मशान की चाबी अपणे साथ ले ग्या था

सबउ पेली

जोधपुर के आंटी जी कौन बनेगा करोड़ पति में 1 करोड़ जित गए।
अमिताभ का सवाल जितने के बाद।

आप जोधपुर जा कर 1 करोड़ रूपये का क्या करेंगी?
आंटी: सबउ पेली 100 रा खुला कराने 10 - 10 रुपिया छोरिया ने दुला।

सिग्नल

रोहतक में एक सिग्नल पर एक महिला की कार ग्रीन सिग्नल होने पर दुबारा स्टार्ट नहीं हुई।

लोग पीछे से होर्न बजाने लगे, सिग्नल ग्रीन से यलो और यलो से वापस रैड हो गया। लेकिन कार स्टार्ट नहीं हुई। लोग हार्न पर हार्न बजाने लगे।

तभी हरियाणा पुलिस का ट्रैफिक हवलदार रामफल वहाँ आया और उस महिला ड्राइवर से बड़ी ही विनम्रता पूर्वक बोला :-

"मैडम के बात होगी, कोई सा भी कलर पसंद ना आरा के....?"

शनिवार, 21 नवंबर 2015

कविता- मैजर शैतान सिंह भाटी

मैजर शैतान सिंह भाटी ।।

फ़र्ज़ चुकायो थे समाज रो ,
मुरधर रा मोती, मारग लियो थे रीति रिवाज़ रो ।

बोली माता हरखाती, बेटो म्हारो जद जाणी,
लाखां लाशा रे ऊपर सोवेला जद हिन्दवानी।
बोटी बोटी कट जावै, उतरे नहि कुल रो पाणी।
अम्मर पीढयां सोढानी पिता री अमर कहानी ।
ध्यान कर लीजे इण बात रो, मुरधर रा मोती दूध लाजे ना पियो मात रो।

सूते पर वार न कीजो, धोखे सूँ मार न लीजो ।
साम्ही छाती भिड़ लीजो, गोला री परवा नाहीं।
बोली चाम्पावत राणी, पीढयां अम्मर धर कीजो।
फ़र्ज़ चुकायो भारत मात रो, मुरधर रा मोती,
सूरज सोने रो उग्यो सांतरो ।

राणी री बात सुणी जद, रगत उतरयो नैना में ।
लोही री नई तरंगा, लाली छाई अंग अंग में ।
माता ने याद करी जद, नाम अम्मर मरणा में।
आशीसा देवे जननी, सीस धरियो चरणा में।
ऊग्यो अगवानी जुध्ध बरात रो, मुरधर रा मोती,
आछो लायो रे रंग जात रो।

धम धम उतरी महलां सूँ, राणी निछरावल करती ।
बालू धोरां री धरती, मुळकी उमंगा भरती ।
आभो झुकियो गढ़ कांगरा, डैना ढींकी रण झरती।
पोयां पग धरता बारै, पगल्याँ बिलूम्बी धरती।
मान बधाज्यो बिन रात रो, मुरधर रा मोती, देसां हित मरियां जस जात रो ।

चुशूल पर चाय करण री, चीनी जद बात करेला ।
मर्दां ने मरणों एकर झूठो इतिहास पड़ेला।
प्राणा रो मोल घटे जद,भारत रो सीस झुकेला।
हूवेला बात मरण री, बंस रो अंस मरेला।
हेलो सुणज्यो थे गिरिराज रो, मुरधर रा मोती, देसां हित मरियां जस जात रो ।

तोपें टेंके जुधवाली,धधक उठी धूवाली।
गोळी पर बरसे गोळी,लोही सूँ खेले होली।
कांठल आयां ज्यूं काली, आभे छाई अंधियाली ।
बोल्यो बरणाटो गोलो, रुकगी सूरज उगियाली ।
फीको पडियो रे रंग प्रभात रो, मुरधर रा मोती, देसां हित मरियां जस जात रो ।

जमियो रहियो सीमा पर छाती पर गोला सहकर ,
चीनीडा काँपे थर थर, मरगा चीन्चाडा कर कर ।
सूतो हिन्दवानी सूरज, लाखां लाशा रे ऊपर ।
माता की लाज बचाकर, सीमा पर सीस चढ़ाकर ।

मुकुट राख्यो थे भारत मात रो, मुरधर रा मोती ,फ़र्ज़ चुकायो थे समाज रो।
मुरधर रा मोती, देसां हित मरियां जस जात रो ।
कानदानजी कल्पित , झोरङा