शिक्षक मारवाड़ी लडके से-" टेबल पर स्याही किसने गिरायी।इसको राजस्थानी भाषा में अनुवाद करो।"
लङका- "ओ पाटिये माते आपरे बाप रो नोम कुण काडियो। "...
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शिक्षक मारवाड़ी लडके से-" टेबल पर स्याही किसने गिरायी।इसको राजस्थानी भाषा में अनुवाद करो।"
लङका- "ओ पाटिये माते आपरे बाप रो नोम कुण काडियो। "...
गाँव के एक विद्यालय से....
अध्यापक- 15. अगस्त को हमे क्या मिली थी ?
छात्र - माड़साहब...."नुक्ति"
एक स्कूल में टीचर ने कहा सब हिन्दी में बात करेंगे...
तभी भँवर बोला : मैडम पप्पूडा लारे से डुक्के चेप रहा हैं, पछै जद मैं मये-मये चुटिये भरूँगा तो अणुता कुकेगा...।
एक सच्चा Jodhpuri जिम नहीं जाता।
सिर्फ जीमने जाता है
और
Jodhpuri का ब्लड ग्रुप होता है
घी पॉजिटिव.
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मारवाडी रो दिल......नरम आईसकीम जेसो
मारवाडी री जबान....मीठी जलेबी जेसी
मारवाडी रो गुसो ....गरम फुलको जेसो
मारवाडी रो साथ.... चटपटो आचार जेसो
मारवाडी रो होसलो.. कडक खाखरा जेसो
मारवाडी रो स्वभाव.. मिलनशार दालढोकली जेसो
(केने को मतबल यो के मारवाडी के साथ रहो तो भुखा कोणी मरो)
भायां नै भोजायां नै
लोगां नै लुगायां नै,
बायां नै'र दायां नै,
दिवाली का राम राम, बड़े घरां जायां नै !
राज के जवांयां नै,
कौम के कसायां नै,
भूखा और धायाँ नै,
दिवाली का राम राम, फौज का सिफायां नै !
बार नै, त्यौहार नै,
जुवे जेड़ी हार नै ,
कार नै बेकार नै,
दिवाली का राम राम, जीत्योड़ी सरकार नै !
मनरेगा के दाणे नै,
शीला जी के गाणे नै,
गूंगे गेले स्याणे नै,
दिवाली का राम राम, कोतवाली थाणे नै !
भूली बिसरी डाक नै
मोबाइल री धाक नै
बायाँ री पोशाक नै
दिवाली का राम राम, रोज कटती नाक नै
मिलावट के माल नै ,
मंहगाई की चाल नै,
जनता के बेहाल नै ,
दिवाली का राम राम, ओज्युं आती साल नै !
दिवाली का राम राम सा.!!
भारत री भोम सगळा संसार सूं इधकी अर निराळी हैं ।इण माथै परमेसर खुद समै समै माथै न्यारा न्यारा रूप लैय प्रकटे । अर प्रकृती आप रो खजानो दोनू हाथा सूं अठै नित लूटाय री हैं । इण वास्ते अठै रा मिनखां में घणो हरख अर उमाव दिखै । इण वास्ते अठै घणा तीज तैंवार (त्यौहार) मनाइजे । आपणे तो कैवत हैं के , सात वार अर तैरे तैंवार । इण रो कारण हैं अठै रा मिनख आद काळ सूं प्रकृती रा पूजारी अर पोखण वाळा रह्या हैं ।इण वास्ते परमेसर अठै री प्रकृती में अलेखूं भांत भांत रा रंग भरीया हैं ।आखै जगत में आपणे अठै इज छै रूत व्है ।इण सबरो असर मिनख रे मन माथै भी पड़ै । इण भांत सगळा अवतार जद जद इण धरती माथै परगटिया ।व्हाने जैडो़ काम करणो हो व्है वैडी़ रूत रे मुजब ही कीनो । ओ इज कारण हैं के जद इण तीज तैवारां रा कारण खोजां तो धार्मिक रे सागै सागै प्रकृती रा कारण रो गैरो रंग निजर आवै । प्रकृती री दीठ सूं दैखां जद निजर आवै के जद चैत रे महिने में बसंत री पतजड़ सूं उबर अर सगळी वनास्पति पाछी पोंगरण लागै ।नुंवां पतो सूं सगळा रूख हरिया भरीया व्है ण लागै ।जद आंप णो नुंवो बरस लागै । नवां काम री जाजम जमावण री खातर सक्ती री घणी जरूरत व्है, इण वास्ते शरूआत नौरतो सूं व्है ।सिरजण रो काम मायड़ रूप में व्है , इण वास्ते गवर री पूजा सूं बरस री थरपणा व्है । सूरज री किरणो में नित नित जोर बधतो जावै इण सूं प्रकृती फळै फूलेला । इण री तैयारी में आखा तीज रो तैंवार मारवाड़ में विशेष रूप सूं मनाइजे । हळ, हाळी अर बीज , बळदो री सार संभाळ रो बगत व्है ।इण भांत अखै अमावस सूं लैय ने आखा तीज तांइ अै सगळा अबूज सावा ब्यावो री अर मुकलावो री घणी रंगत व्है । जद वैसाख रो महिनो पूरो व्है जावै तो जैठ में आखी प्रकृती सूरज रे तीखे तावडे़ सूं तपै जद मिनख भी इण तप में निरजला इग्यारस कर आप रो धरम निभावै । जद आषाड महिने काळी कळायण उमडे़ तद करसां रे हिये उमाव दिखै जद सुनम रै सांवा री धूम मचै ।जद बादळ बरसण लागै तद गुरु पूनम री गुरु पूजा कर साधू संत चौमासै बिराजै इण बगत घणो उच्छब व्है ।करसां री करम भोम माथै जद धरती रो रो भरतार इन्दर रे रूप में आय मैहा झड़ मांडै तद सावण रे महिने तीजणिया सिणगार सजै । धरती हरियो कंचुबौ धार फळै तद मायड़ शक्ती आप रे कैइ रूपो में प्रकटे ।व्है बैन रे रूप राखडी़ बांध भाइ रा उमर रा जतन करै ।तो सांवण री तीज में सिणगार सज साजन ने रिजावै ।सावण अर भादवा रो महिनो मायड़ शक्ती रे नाम रैवै ।जद काजळी तीज ,ऊब छट रा तैंवार पति री उमर बधावण खातर करीजै । धरती जद धान सूं छक जावै अर विण में बीज पडण रो बगत आवै, जद सुरग वासी आतमावां ने तिरपत करण रो समै आवै । पछै नौरतो में सगती री पूजा करां जद चैती नौरतो में ऊन्हाळू फसल पाकै, तो आसोज में सियाळू फसल पाक जावै ।मा अन्न पूरणा भण्डार भरण ने त्यार रैवै । जद वांने नव दिन नौरतो में पूज, विणरी आशीश लैवे ।इण पछै सबसूं मोटो तैंवार आवै दीवाळी रो ।इण तैंवार ने मनावण रे लारै न्यारा न्यारा लोगां री न्यारी न्यारी मान्यतावां । पण राम जी घरे आवण वाळी बात सगळा ही इण रो मूळ कारण मांने । पण जद प्रकृती री दीठ सूं दैखां तो तो काती में फसल पाकै, जद घर में उजास व्है । अर मन में उमाव व्है । अर मानखे री प्रकृती री दीठ सूं दैखां तो जद भीतर में बैठो काम, क्रोध रूपी रावण मरै जद राम मिळै अर राम मिळियां हि हिये में उजास व्है ।इण भांत ओ उजास रो तैंवार मनाइजे ।पौष रे महिने में कड़कडा़वती ठण्ड पड़ै जद अैडो़ लखावे जाणै प्रकृती खूंटी ताण ने सोय गी हैं , इण महिने ने मळ मास कैवे अर कोइ मोटो तैंवार कोनी आवै । पण जद माघ रै महिने में सूरज री किरणां में गरमास वापरै, अर प्रकृती आळस छोड़ पाछी आप री रंगत में आवण लागै, तद बसंत पाचम रो तैंवार आवै । अबे प्रकृती री झोळी फूलो सूं भरीज जावै अर इण रे फळण रो समै आवै जद मिनख रे मन में घणो हरख अर प्रीत रा बादळ घुमड़े, जद घणी उमंग, उछाह अर मस्ती रो तैंवार होळी आवै ।इण भांत बरस कद बीत जावै, पत्तौ ही कोनी चालै । इण तैंवार रे लारै असली कारण तो चाल रह्यी मान्यतावां ही हैं ।मैं तो यूंही अैक न्यारी दीठ सूं देखण री कोशीश करी । इण में मान्यतावां रो खंडन या मंडन कीं कोनी हैं ।