शनिवार, 14 नवंबर 2015

मारवाडी रो दिल.....

मारवाडी रो दिल......नरम आईसकीम जेसो

मारवाडी री जबान....मीठी जलेबी जेसी

मारवाडी रो गुसो ....गरम फुलको जेसो

मारवाडी रो साथ.... चटपटो आचार जेसो

मारवाडी रो होसलो.. कडक खाखरा जेसो

मारवाडी रो स्वभाव.. मिलनशार दालढोकली जेसो

(केने को मतबल यो के मारवाडी के साथ रहो तो भुखा कोणी मरो)

शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

दिवाली का राम राम सा.!!

भायां नै भोजायां नै
लोगां नै लुगायां नै,
बायां नै'र दायां नै,
दिवाली का राम राम, बड़े घरां जायां नै !
राज के जवांयां नै,
कौम के कसायां नै,
भूखा और धायाँ नै,
दिवाली का राम राम, फौज का सिफायां नै !
बार नै, त्यौहार नै,
जुवे जेड़ी हार नै ,
कार नै बेकार नै,
दिवाली का राम राम, जीत्योड़ी सरकार नै !
मनरेगा के दाणे नै,
शीला जी के गाणे नै,
गूंगे गेले स्याणे नै,
दिवाली का राम राम, कोतवाली थाणे नै !
भूली बिसरी डाक नै
मोबाइल री धाक नै
बायाँ री पोशाक नै
दिवाली का राम राम, रोज कटती नाक नै
मिलावट के माल नै ,
मंहगाई की चाल नै,
जनता के बेहाल नै ,
दिवाली का राम राम, ओज्युं आती साल नै !
दिवाली का राम राम सा.!!

Bhai dooj par..

भारत री भोम सगळा संसार सूं इधकी अर निराळी हैं ।इण माथै परमेसर खुद समै समै  माथै न्यारा न्यारा  रूप लैय प्रकटे । अर प्रकृती आप रो खजानो दोनू हाथा सूं अठै नित लूटाय री हैं ।  इण वास्ते अठै रा मिनखां में घणो हरख अर उमाव दिखै । इण वास्ते अठै घणा तीज  तैंवार  (त्यौहार) मनाइजे । आपणे तो कैवत हैं  के , सात वार अर तैरे तैंवार । इण रो कारण हैं अठै रा मिनख आद काळ सूं प्रकृती रा पूजारी अर पोखण वाळा रह्या हैं ।इण वास्ते  परमेसर अठै री प्रकृती में अलेखूं भांत भांत रा रंग भरीया हैं ।आखै जगत में आपणे अठै इज छै रूत व्है ।इण सबरो असर मिनख रे मन माथै भी पड़ै । इण भांत सगळा अवतार जद जद इण धरती माथै परगटिया ।व्हाने जैडो़ काम  करणो हो  व्है वैडी़ रूत रे मुजब ही कीनो । ओ इज कारण हैं के जद इण तीज तैवारां रा कारण खोजां तो धार्मिक रे सागै सागै प्रकृती रा कारण रो गैरो रंग निजर आवै । प्रकृती री दीठ सूं दैखां जद निजर आवै के  जद चैत रे महिने में बसंत री पतजड़ सूं उबर अर सगळी वनास्पति पाछी पोंगरण लागै ।नुंवां पतो  सूं सगळा रूख हरिया भरीया व्है ण  लागै ।जद आंप णो  नुंवो बरस लागै । नवां काम री जाजम जमावण री खातर सक्ती री घणी जरूरत व्है, इण वास्ते शरूआत  नौरतो सूं व्है ।सिरजण रो काम मायड़ रूप में व्है , इण वास्ते गवर री पूजा सूं बरस री थरपणा व्है ।  सूरज री किरणो में नित नित  जोर बधतो जावै इण सूं प्रकृती  फळै  फूलेला ।  इण री तैयारी में आखा तीज रो तैंवार मारवाड़ में विशेष रूप सूं मनाइजे । हळ, हाळी अर बीज , बळदो री  सार  संभाळ रो बगत व्है ।इण भांत अखै अमावस सूं लैय   ने आखा तीज तांइ  अै सगळा अबूज सावा  ब्यावो  री अर मुकलावो री घणी रंगत व्है । जद वैसाख रो महिनो पूरो व्है जावै  तो जैठ में आखी प्रकृती सूरज रे तीखे तावडे़ सूं तपै  जद मिनख भी इण तप में निरजला इग्यारस कर आप रो धरम निभावै ।   जद आषाड महिने काळी कळायण उमडे़ तद करसां रे हिये उमाव दिखै  जद सुनम रै सांवा री धूम मचै ।जद बादळ  बरसण लागै तद गुरु पूनम री गुरु पूजा कर साधू संत  चौमासै बिराजै  इण बगत घणो उच्छब व्है ।करसां री करम भोम माथै जद  धरती रो रो भरतार  इन्दर रे रूप में आय मैहा झड़ मांडै तद  सावण रे महिने  तीजणिया सिणगार सजै ।  धरती हरियो कंचुबौ धार  फळै  तद मायड़ शक्ती  आप रे कैइ रूपो में  प्रकटे  ।व्है  बैन रे रूप राखडी़ बांध भाइ रा उमर रा जतन करै  ।तो सांवण री तीज में सिणगार सज साजन ने रिजावै ।सावण अर भादवा रो महिनो मायड़ शक्ती रे नाम रैवै ।जद काजळी तीज ,ऊब छट  रा तैंवार  पति री उमर बधावण खातर करीजै । धरती जद धान सूं छक जावै अर विण में बीज पडण रो बगत आवै, जद सुरग वासी आतमावां ने तिरपत करण रो समै आवै । पछै नौरतो में सगती री पूजा करां  जद चैती नौरतो में ऊन्हाळू फसल पाकै, तो आसोज में सियाळू फसल पाक जावै ।मा अन्न पूरणा भण्डार भरण ने त्यार रैवै ।   जद वांने  नव दिन नौरतो में पूज, विणरी आशीश लैवे ।इण पछै सबसूं मोटो तैंवार आवै दीवाळी रो ।इण तैंवार ने मनावण रे लारै न्यारा न्यारा लोगां री न्यारी न्यारी  मान्यतावां । पण राम जी घरे आवण वाळी बात सगळा ही इण रो मूळ कारण मांने । पण जद प्रकृती री दीठ सूं दैखां तो तो काती में फसल पाकै, जद घर में उजास व्है । अर मन में उमाव व्है । अर मानखे री प्रकृती री दीठ सूं दैखां  तो जद भीतर में बैठो  काम, क्रोध रूपी रावण मरै जद  राम मिळै  अर राम मिळियां हि हिये में उजास व्है ।इण भांत ओ उजास रो तैंवार मनाइजे ।पौष रे महिने में  कड़कडा़वती ठण्ड पड़ै जद  अैडो़ लखावे जाणै प्रकृती खूंटी ताण  ने  सोय गी हैं , इण महिने ने मळ मास कैवे अर कोइ मोटो तैंवार कोनी आवै । पण जद माघ रै महिने में सूरज री किरणां में गरमास वापरै, अर प्रकृती आळस छोड़ पाछी आप री रंगत में आवण लागै, तद बसंत पाचम रो तैंवार आवै । अबे प्रकृती री झोळी फूलो सूं भरीज जावै अर इण रे फळण रो समै आवै जद मिनख रे मन में घणो हरख अर प्रीत रा बादळ घुमड़े, जद घणी उमंग, उछाह अर मस्ती रो तैंवार होळी आवै ।इण भांत बरस कद बीत जावै, पत्तौ  ही कोनी चालै । इण तैंवार रे लारै असली कारण तो चाल रह्यी  मान्यतावां ही हैं ।मैं तो यूंही अैक न्यारी दीठ सूं देखण री कोशीश करी । इण में मान्यतावां रो खंडन या मंडन कीं  कोनी हैं ।

शनिवार, 7 नवंबर 2015

क्रांतीकारी केसरी सिंह जी बारहठ जयंती पर संस्मरण


21 नवं. क्रांतीकारी केसरी सिंह जी बारहठ जयंती पर संस्मरण
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आदरणीय ठा. साहब  के जीवन संघर्ष में पग पग पर साथ दिया उनकी सहधर्मिणी पुज्या माणक कँवर ने.
भारत माता स्वरूपा माणक बा ने ह्रदय को पत्थर से भी कठोर बना कर पुत्र वियोग ताउम्र सहन करके भी कर्तव्य पथ पर विचलित नहीं हुई.
बारहठजी नें काव्यमय पुण्य स्मरण में जो वर्णन किया इससे अधिक कोई अन्य क्या मूल्यांकन करेगा उस महान नारी का| भगवान एसी मां सबको दे.प्रताप जननी के रूप में बारहठ जी नें उनकी स्तुति की है.

" घाव दुःख सह लिये , कुछ धीर हुं अभिमान था |
किन्तु सच आधार में ' प्राणेश्वरी का प्राण था ||

इस ' मणि' बिन हो गयी , अंधारमयी सारी मही |
पतित पावन दीनबंधो, शरण इक तेरी गही ||

आज भी माणक भवन कोटा का वह चबुतरा जन जन का पुज्य स्थान है जहां हमारे सबके आदर्श दम्पती अस्थियों के स्वरूप में इस चबुतरे के गर्भ  में प्रतिष्ठापित है.  जहां उनकी स्मृति में अपनी मनोव्यथा ठा. साहब ने शब्दों मे व्यक्त की है -------------

विपदाघन सिर पर जुटे,
उठे सकल आधार
ग्राम धाम सब ही लुटे
बिछुटे प्रिये परिवार......

बरस चतुर्दश विपति के
ढाये गजब बलाय
कहा दशा मो दीन की
राम ही दिये रूलाय

राम सिया के साथ में
पुनि सनाथ गृह कीन
हन्त विपत्ति के अन्त में
मेरी ' मणि' रही न.

गुरुवार, 5 नवंबर 2015

500 रूपये का नोट


किराने की दुकान में बणिया 500 रूपये का नोट बहुत ध्यान से चेक कर रहा था।
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जाट : लाला जी, कितणै भी ध्यान तैं देख ले गाँधी की जगहा कटरीना ना दिखैगी।

सीजन

पत्नी : प्लीज मेरे जन्मदिन पर मुझे आप ब्लैकबेरी या एप्पल दिलवाइए। पति : काकडियो खा। सीजन इको ही चाल रयो है।

रविवार, 1 नवंबर 2015

पीली धरती पथवाली..

~पीली धरती पथवाली..
धन धोरां रो देस..
~अमर पागड़ी वीरां री.. केसर बरणो
वेश..
~जरणी जाया नाहर सम.. ऐड़ा वीर सपूत..
~"तेजस" धन या मरूधरा.. धन धन राजपूत..