शनिवार, 7 नवंबर 2015

क्रांतीकारी केसरी सिंह जी बारहठ जयंती पर संस्मरण


21 नवं. क्रांतीकारी केसरी सिंह जी बारहठ जयंती पर संस्मरण
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आदरणीय ठा. साहब  के जीवन संघर्ष में पग पग पर साथ दिया उनकी सहधर्मिणी पुज्या माणक कँवर ने.
भारत माता स्वरूपा माणक बा ने ह्रदय को पत्थर से भी कठोर बना कर पुत्र वियोग ताउम्र सहन करके भी कर्तव्य पथ पर विचलित नहीं हुई.
बारहठजी नें काव्यमय पुण्य स्मरण में जो वर्णन किया इससे अधिक कोई अन्य क्या मूल्यांकन करेगा उस महान नारी का| भगवान एसी मां सबको दे.प्रताप जननी के रूप में बारहठ जी नें उनकी स्तुति की है.

" घाव दुःख सह लिये , कुछ धीर हुं अभिमान था |
किन्तु सच आधार में ' प्राणेश्वरी का प्राण था ||

इस ' मणि' बिन हो गयी , अंधारमयी सारी मही |
पतित पावन दीनबंधो, शरण इक तेरी गही ||

आज भी माणक भवन कोटा का वह चबुतरा जन जन का पुज्य स्थान है जहां हमारे सबके आदर्श दम्पती अस्थियों के स्वरूप में इस चबुतरे के गर्भ  में प्रतिष्ठापित है.  जहां उनकी स्मृति में अपनी मनोव्यथा ठा. साहब ने शब्दों मे व्यक्त की है -------------

विपदाघन सिर पर जुटे,
उठे सकल आधार
ग्राम धाम सब ही लुटे
बिछुटे प्रिये परिवार......

बरस चतुर्दश विपति के
ढाये गजब बलाय
कहा दशा मो दीन की
राम ही दिये रूलाय

राम सिया के साथ में
पुनि सनाथ गृह कीन
हन्त विपत्ति के अन्त में
मेरी ' मणि' रही न.

गुरुवार, 5 नवंबर 2015

500 रूपये का नोट


किराने की दुकान में बणिया 500 रूपये का नोट बहुत ध्यान से चेक कर रहा था।
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जाट : लाला जी, कितणै भी ध्यान तैं देख ले गाँधी की जगहा कटरीना ना दिखैगी।

सीजन

पत्नी : प्लीज मेरे जन्मदिन पर मुझे आप ब्लैकबेरी या एप्पल दिलवाइए। पति : काकडियो खा। सीजन इको ही चाल रयो है।

रविवार, 1 नवंबर 2015

पीली धरती पथवाली..

~पीली धरती पथवाली..
धन धोरां रो देस..
~अमर पागड़ी वीरां री.. केसर बरणो
वेश..
~जरणी जाया नाहर सम.. ऐड़ा वीर सपूत..
~"तेजस" धन या मरूधरा.. धन धन राजपूत..

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

हर कोई भरे बटका

हर कोई भरे बटका

घूमावा नहीं ले जावो,
तो घरवाळी भरे बटका |

घरवाळी रो ज्यादा ध्यान राखो,
तो माँ भरे बटका |

कई काम कमाई नी करो,
तो बाप भरे बटका |

पैईसा टक्का ना दो,
तो टाबर भरे बटका |

कई खरचो नी करो,
तो दोस्त भरे बटका |

थोड़ोक कई , केई दो,
तो पड़ौसी भरे बटका |

पंचायती में नी जावो,
तो समाज भरे बटका |

जनम मरण में नी जावो,
तो सगा संबंधी भरे बटका |

छोरा छोरी  पढ़े नहीं
तो मास्टर भरे बटका |

पूरी फीस नी दो ,
तो डाक्टर भरे बटका |

साधन रा कागज ना तो',
तो पुलिस भरे बटका |

मांगी रिश्वत ना दो,
तो साब भरे बटका |

चावता वोट ना दो,
तो नेता भरे बटका |

टेमसु उधार ना चुकाओ,
तो सेठ भरे बटका |

टाईमु टाईम किश्ता नी जमा करावो,
तो बैंक मैनेजर भरे बटका |

नौकरी बराबर नी करो,
तो बोस भरे बटका |

अबे आपई वताओ,
जार कठे जावा,

अठे हर कोई भरे बटका |
अठे हर कोई भरे बटका | |

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

म्हारी एैडी़  मान्यता हैं

लारला कैइ दिन, इण बात रो  बि़चार करण में निकळ गया के  समाज री, देस री, अर दुनिया री, सेवा करण सांरू निकळया मिनख आपस में क्यूं लडै़ ? इण रो कारण कांइ हैं के व्है सगळा एकण साथे रैय ने व्है आप रे समाज री, देस री अर दुनिया री सेवा नी कर सके ? इण रा मोकळा कारण व्है सके ।पण म्हने एडो लखावे के इण रो एक कारण सेवा रे नाम माथै, खुद रे अैंकार (अंहकार) ने तिरपत करणो हैं । आप इण दीठ सूं विचार करावो के  लगै टगै सगळा मिनखां ने खुद री न्यारी ओलखाण राखण री तगडी़ भूख व्है ।इण भूख ने तिरपत करण रे वास्ते लोग तरै तरै रा जतन करै ।कोइ घणा रूपिया कमावे, कोइ बिणज वोपार करे, कोइ राज रो मोटो अहलकार बणै इण भांत विण रे रूपिया री भूख तिरपत व्है ।पण अैंकार रा कैइ रूप व्है, अर घणा झीणा व्है पकड़ में आवै कोनी ।जद रूपिया घणा व्है जावै अर ओहदो ऊचों व्है जावै तद प्रतिष्ठा री भूख जाग जावै । प्रतिष्ठा री भूख पइसा (पैसा) री भूख सूं घणी तकडी़ व्है ।इण ने तिरपत करण खातिर मिनख घणी जुगत अर जनम करे ।कोइ सराय धरम शाळ बणाय आप रो नाम मोटा आखरां में लिखावे, तो कोइ किणी री अबखी वैळा में मदद करै ।कोइ आप रा संगठण बणाय लोगां री दिन रात सेवा करण सांरू निकळ जावै ।इण भांत जद लोगां रा काम निकळै जद लोग इणां ने भर भर मूंडा ने घणी आशीष दैवे ।अर इण लोगां ने खुद ने ही एडौ़ इज लखावे के सांचाणी व्है समाज री सेवा इज कर रह्या हैं इण भांत जद प्रतिष्ठा में जद बाधैपो घणो व्है जावै तद इणां री भूख में इण सूं सवायो बाधैपो व्है जावै  । अबै इणां ने आप री बात सबसूं सिरै लागै, अर खुद रो काम सगळा सूं ऊचों दिखै ।इण भांत मिनख में आप रे अनुयायां री भूख जागै विण ने अैडा़ मिनख घणा सुहावै जका आंखिया मीच ने बात माने, मोडा़ बैगा ऐडा़ मिनख मोकळा आंने मिळ जावै, जका इयांरा जै  जै कार करे ।इण भांत भीतर में भरियो अैंकार पतिजै अर आदमी खुद ने सेवा करण वाळो समझण लाग जावै । पण जद कोइ दूजो मिनख इणीज भांत रा काम करण लागै तद इण रा अैंहकार माथै चोट पडै, दूजा मिनख री तारीफ  सहन कोनी व्है  । काळजा  में लाय लाग जावै, हीये में धपळका  उठे  के  म्हारे जैडो़  दूजो कुण ।जद विण ने रोकण रा जतन करै ।इण में साथे रैवण वाळा चेला चांटी बळती लाय में पूळा नाखण रो काम करे ।इण में जद नवो पख हार मान आपरो रस्तो बदळ दैवे तद तो ठीक हैं ।पण जद दोनूं पख सेवा रे नाम माथै खुद रे मायला अैंहकार ने पोखण वाळा व्है जद भिड़न्त टळै कोनी ।अर देस रा, समाज रा, दळ रा अर संगठण रा दोय फाड़ व्है जावै ।इण सूं सबसूं मोटो नुकसान ओ व्है के  समाज रा चावा  ठावा अर नेम धरम सूं चालण वाळा, रीत री अर नीती री बात करण वाळा लारलै छैडै़ जावै परा अर कांनो करलै अर समाज में ओछी सोच रा अर लड़ण भिड़ण वाळा आगे आ जावै अर वां री चार आंनी चालण लागै । म्हारो मानणो हैं  के सेवा तो अैक  स्वभाव हैं जिण रो कारण हीये री पीड़ हैं ,विदको किणी री मदद कर सकूं, किणी रे काम आय सकूं,  आ सोच राखण वाळो ही सेवा कर सके, अर विण रो किणी रे साथे झगडो़ नी व्है सके  म्हारी एैडी़  मान्यता हैं ।   

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

हिंदी बोलेंगे,

एक बार गांव के स्कूल में नये
मास्टर ने कहा आज से सब
हिंदी बोलेंगे,,,
थोडी देर बाद में पिछे से
आवाज आयी
"सरजी "रामुडा लारे से डुका मार रहा हे"