बहुत सुन्दर सन्देश
एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हे बुरा नही लगता ??
मधुमक्खी ने बहुत सुंदर जवाब दिया :
.तु थारो काम कर
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बहुत सुन्दर सन्देश
एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हे बुरा नही लगता ??
मधुमक्खी ने बहुत सुंदर जवाब दिया :
.तु थारो काम कर
मारवाडी को फांसी की सजा सुनाई गयी ..
जज ने पूछा- कोई आखिरी ख्वाहिश?
मारवाडी - म्हारी जगह थे लटक जाओ
जोधपुर गणेशोत्सव संपन्न हुआ और श्री गणेश जी कैलाश पर्वत पर पहुँचे।
माता पार्वती ने पूछा---" कैसा रहा उत्सव का माहौल ? "
गणेश जी---" ऐ मोरुडा फागण मिने मिठो मिठो बोलियो रे।।।। "
माता पार्वती---" अरे, ये क्या बोलते हो ? "
गणेश जी---" अरे अमलिडो अमलिडो अमलिडो मोलो सांता ने लागे वालो अरे नाग तिरस् वा वालो ओ बाबो मोलो अमलोडो ।।।।"
रिद्धी ---" अरे, ये क्या है ??? "
गणेश जी---" ले नाच.. ले नाच.. ले नाच मारी भीनदडि भंडारा रे डीजे माते नाच ....."
सिद्धि -- अरे किया हुआ स्वामी ?????
गणेश जी --- ओ ढकण खोल दे .. ऐ ढकण खोल दे कलाली बोतल को दारू रे पियाला मेतो थारे गर को।।।
शंकर जी---" ......आजकल टाबरा ने जोधपुर भेजनो ज़माना ही नी रियो। "
ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को
धणी - आज सजधज के कठे जा री से ?
लुगाई - आत्महत्या करणे जा री सुं !
धणी - तो इत्तो मेकअप क्यूँ करयो है ?
लुगाई - काल
अख़बार म्हें म्हारो फोटू भी तो छपसी ;~)
मारवाड़ी की पत्नी :
म्हने लागे म्हारी छोरी को अफेयर चालु है ।
पति : वो क्यूँ ?
पत्नी : "पॉकेट मनी" कोनी माँगे आजकल ।
पति : हे भगवान,,
इं को मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी !
एक मारवाड़ी को एक्सीडेंट हो ग्यो..
डाक्टर बोल्यो - टांकों लगाणो पड़ेगो
मारवाड़ी - कित्तो पीसो लागेगो ?
डाक्टर - 2000 रिपया लागसी..
मारवाड़ी- अरे भाया..
टाँकों लगाणों है,, एंब्रोईडरी कोणी करवाणी !
.......मारवाडी ......
छोरो - आई लव यू
छोरी - चूप रे गेलसप्पा ,,
एक लेपड मेलियो नी तो सीधो जोधपुर पुगेला..
छोरो - थोडो धीरे मार जे,, नागौर मे थोडो काम हैं ।
एक मारवाडी भगवान सु अरज करे..
हे मारा छतीस करोड देवी देवता
मारे ज्यादा कइ कोनी छावे
बस आप सब मने एक -एक रुपया री
मदद कर दो महारो जीवन सफल हो जाए ~
काले जठे बात रोकी, वठां सूं आगे चालां तो आ बात पकड़ में आवै के, इण जगत में दोय दीठ परा परी सूं चालै ।एक दीठ जका भारत री भोम में जलम लेयने आखै जगत में फैली । इण ने दार्शनिक दीठ कैय सको । इण दीठ सूं आ स्रीष्टी भगवान री माया हैं । अर आ सगळी जीवा जूंण इसर रो रूप हैं । इण में सगळा अैक दूजा सांरू घणा मेहताउ अर घणा उपयोगी हैं । इण दीठ रो नतीजो ओ वियो के आपणे देस में केतान जुगां सूं प्रकृती री पूजा करां । अर प्रकृती ने देव मांनां अर इण री घणी रूखाळी कर इण ने पोखण रो काम करा । आ रीत आपणे अठे लगे टगै लारलै दस पनरा हजार बरसां सूं चाल री हैं । आ बात इण सूं पुख्ता व्है जावै के आपां रूखां में देव री गिणती में राखां । जळ अर थळ में देव रो वासो मानां, सूरज अर चांद ने पूजा । बडेरा तो अन्न ने ही अन्न देव कैवता । अठे इण बात रो खुलासो करणो ठीक रैसी के देव विणनै कैवै जको आप री सगळी चीज दैवतो रैवै । इण दीठ सूं आखी प्रकृती खुद रे खातिर रती भर चीज कोनी राखै । आखी प्रकृती रो उपयोग मानखो इज करे ।अठे इण बात माथै घणौ ऊंडो ध्यान दिरावो के प्रकृती रो उपयोग व्है, उपभोग नी व्है । इण आखरा माथै एकर ऊंडो बि़चार करां तो आ बात साफ हैं, के उपयोग में कोइ वस्तु जुडै़ । योग रो मतळब जुड़नै सूं हैं । पण उपभोग रो मतळब किणी चीज रो नाश व्हैण सूं, या खतम वेवण सूं लखावे । पण इण दिनां जगत में इण दीठ रो लोप व्है रह्यो हैं । अर दूजोडी़ दीठ जिणने विग्यानिक ( वैज्ञानिक ) दीठ कैवां विण रो बाधैपे घणो निजर आवै । इण दीठ सूं आ प्रकृती अणु परमाणुवां सूं आपो आप उपन्योडी़ हैं, इण रो जितरो उपभोग कर सको, वितरो करो । कितरो उपभोग करणो चाहिजै इण रो सोचण रो काम आपणो कोनी । अर उपयोग अर उपभोग रे लफडै़ में पड़ण री जरूरत कोनी । आ दीठ आथूणा देसां सूं आपणे अठे आयी अर इण टैम घणी फळ फूल री हैं । विग्यानिक आखै जगत ने न्यारो न्यारो मान अर इण रो घणा सूं घणो उपभोग चावै । इण रो नतीजो ओ वियो के मिनख री नीत पूरी तरै सूं बिगड़गी । अर वौ प्रकृती सूं खिळवाड़ करण लाग गो । विण रे भोग री कोइ माठ इ कोनी रही । मिनख दूजी सगळी जीवा जूंण अर प्रकृती रे पिरवार ने आप रे भोग री वस्तु बणाय ली । आज मानखे रे भोग भोगण री लालसा रो कोइ छै हैं न कोइ पार । आज रो मानखो इण में पूरी तरिया उळजियोडो निजर आवै । अैडी़ आंधी दौड़ शरु कर दिनी वा कठै ठमैला किणी ठा कोनी । सगळा न्यारा न्यारा दौडे़ कठै इ भैळप निजर कोनी आवै । च्यारू मेर विग्यानिक खोज सूं अणमाप भोग री चीजो सूं बजार भरीया पड़िया हैं , पण नित नुवीं वस्तुओ आय री हैं । म्हारी मनसा आपने बजार में मेलण री कोनी, मैं फगत आप रो ध्यान इण बात माथै दिरावणी चावूं के आ दीठ ठीक हैं के गलत । इण माथै ब़िचार करां । सबसूं पैली शरीर विग्यान री बात, हर अंग रा न्यारा न्यारा डाकटर इण सूं जद एक बिमारी रो इलाज करांवा तो दूजी माडाणी पनप जावै । इण री बानगी दैखावो बी. पी. री दवा हिरदै माथै असर करसी, पीड़ रो दरद मिटावण वाळी दवा गुड़दा ने खराब करसी, इण भांत इण में घणी गबागब हैं । पण आंपां ने ठा लागै कोनी अर डाकटर साब बतावै कोनी । दूजी दीठ बजार माथै न्हाळो इण री बानगी दैखावो । एक फटफटियो (मोटर साइकल) बणावण कम्पनी ने आप रे बणायोडा़ सगळा फटफटियो ने बजार में बैचणा हैं । इण वास्ते इण ने ग्राहक घणा चाहिजै ला, जद वा एक पिरवार रे जणा दीठ फटफटियो बैचण कोसिस करसी , इण खातिर करजो दैसी, अर पूरै पिरवार ने तोड़ण री पक्की कोसिस करसी । अबे फटफटियो ने दोड़ण खातर तैल री जरूरत व्हैसी , जद फेरूं करज री जरूरत, इण भांत घर ग्रस्थी री सगळी चीजो रे वास्ते करजो लेवणो पड़सी । आथूणा देसां रो आज इण वास्ते दैवाळो निकळतो निजर आवै ।पण बजार वाद री आ भूख अबे होळै होळै आंपणे माय बड़ती दिसै । मांयता रे लायोडी चीजो टाबरां ने दाय कोनी आवै, मोटा टाबर छोरू ने आधी रात तांइ बारै फिरण री वकालत रे लारै बजार रो मोटो हाथ हैं । आज तीज तिंवार किकर मनाइजैला बजार तै करे, ब्रत, तीरथ सगळा बजार सूं तै वै । आज तो अैडो़ लखावे के बजार घर मांय बड़गो, के घर खुद बजार बणगो ।
" आज राग बिकै, रंग बिकै, आज मिनख रा अंग बिकै । आज किराया साठे कोख मिळै, अर आज मायड़ रो दूध बिकै ।। "
आज अणमाप भोग री वस्तुओ रे बिचाळै, अणधापण वाळी मनसा लियो मानखो कठै जासी इण बात माथै बि़चार करण री जरूरत हैं ।
भगवान सिंह, खारी
जोधपुर में आजकल प्रमुख चौराहों पर पुलिस द्वारा सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाये जा रहे है।,
लेकिन जोधपुर वाले लोग
तो जोधपुर के ही है,
उन्होंने उससे एक नया प्रयोग किया"
एक जोधपुरी भाई ने
सुबह सुबह “पुलिस कंट्रोल” रूम में “फ़ोन” किया…!!
जोधपुरी भाई :- कई सा ... आप रा सी.सी TV कैमरा काम कर रिया है कई ?
कंट्रोल रूम :- हाँ सा ।
भाई ने फिर पूछा :- जालोरी गेट दिखे है कई ?
कंट्रोल रूम:- हाँ सा। दिख तो रियो है।
जोधपुरी भाई- तो सूर्या शाही नमकीन वाला री दूकान दिख री है कई ??
कंट्रोल रूम :- हाँ सा दिखे तो है। !
कई बात है ?
जोधपुरी भाई - अरे मालिक, थोड़ो
देख ने बतावो तो....
के " गरम मिर्ची बड़ा रेडी है कई ?
अैक घणी जूनी बात हैं ।जद टाबरां री भणाई पढाई गुरु जी रे आश्रम में विया करती, गुरूजी टाबरां ने आप रे अनुभव सूं अर आप रै तपोबळ सूं आवण वाळै जीवन रे वास्ते त्यार करता । जद मानखे रे जीवन रो धै मिनख पणा ने किकर निभाय सके अर जगत री सेवा कितरी बण सके अैडो़ हो ।इण भांत एक गांव रा च्यार टाबर गुरूजी रे आश्रम पूगा ।घणा बरसां तांइ तगड़ी मैनत अर करडी़ लगन सूं तीन मोट्यार तो जबरा त्यार व्हैगा, पण चौथोडो़ ठीका ठीक रह्यो ।जद वारी दीक्षा पूरी व्हैगाी, गुरूजी वां सगळा ने घरे जावण री इजाजत दींनी । ज्यां दिन आवण जावण सांरू पगां रो बळ इज काम आवतो ।च्यारू मोट्यार एक घणे जाडे जंगळ सूं निकळ रह्या हा के व्है अैक जगा हाडका बिखरियोडा़ देख्या, जद व्है बि़चार करियो के, अै हाडका किसा जिनावर रा व्है सकै ? सगळा आप आप रो बि़चार राख्यो पण किणी नतीजा माथै नी पूग सक्या ।जद व्है विचार करियो के इण जगै गुरूजी रो ग्यान परखणो चाहिजै । जद आ बात खरी व्हैगाी, तद अैक जणौ बोल्यो के म्हारें मंतरो रे जोर सूं अां बिखरियोडा़ हाडकां रो म्है अैक टंटेर (कंकाळ) बणाय सकूं । अर व्हो आंखियां मीच मंतर पडण लागो, थोडी़ क बखत बीती अर विणरै आंखियां खोलते पाण सगळा हाडका भैळा व्हैगा, अर एक नव हत्थे सींघ रो कंकाळ ब़णगो ।अैड़ै मोके दूजोडो गम किकर खाय सके, व्हो अणूतो उतावळो व्है बोल्यो के म्हारे मंतरा रो जोर थारे व्हाळा सूं घणो जबरो हैं । म्है इण टंटेर में मांस, लोही (खून) अर खालडी़ घाल सकूं । व्हो किणी रै पडू़तर री बाट कोनी जोयी, जट पलको जुकाय अर मंतरा रा जाप सरू करिया ।थोडी़ जैज में विण कंकाळ में अैडो़ सरूप कर दिनो जाणे केहरी भर नीद सूतो हैं ।अबे विण तिजोडे मोट्यार रे डील में तो जाणे लाय लागगी , व्हो जद तक आप रे मंतरो रो जोर नी दिखावै तद तांइ विणनै किकर चैन पड़ै ।व्हो अणूतो उतावळो व्है आप रो काम सरू करण वाळो इज हो जितरै सबसूं कम कूंत राखणियो चौथोडो़ बोल्यो, भाइ इण जीव घालणो जरूरी हैं कांइ ओ तो देखो ओ सींघ हैं, ओ जीवतो वियो तो विणाश करसी, ।पण विण री कुण सुणै, तिजोडो मोट्यार बोल्यो थूं जाणे तो कीं हैं कोनी, असल ठोठ ।जद इण में म्है जीव नी घालूं तो पछै म्है यां दोनां सूं कमतर कैवीजू, ।जद के म्हारै कनै इणां सूं सवाइ कळा हैं ।चौथोडो़ मोट्यार बोल्यो ठीक हैं भाइडा़ म्हने अठा सूं जाण दै, पछै थ्हांरे चोखो लागै ज्यूं करजो इतरो कैवणो चावूं के थांरी आ कळा थांरो खळौ कर दैसी ।पण घणो ग्यानी किणरी सुणै । व्है तो ग्यान में गैला वियोडां व्है ।वो तिजोडो मोट्यार कोनी मान्यो अर आप रा सजीवण मंतरा सूं सींघ ने सरजीवत कर दिनो ।आगलो काम तो पछै सिंघ ने ही करणो हो ।अठै अैक बात रो खुलासो करणो चावूं के, आज रा विग्यानी जिण तरै प्रथ्वी तत्व ने निचोड इण मांय सूं अकूत उर्जा निकाळै विणी ज भांत आपणै बडेरो में वायु तत्व रो मंतरा सूं मथ ने अकूत उर्जा निकाळण रो बक हो ।पण मूळ बात इण में जका कैवणी चावूं वा आ हैं के विण च्यारू दोस्तों में पढियो लिखियो कुण हो...। इण माथै विचार करावाड़ो , ।दूजी बात हैं के इण में जको दीठ रो फरक निजर आवै विणनै आंपां दोय टुकडा़ में कर दैखां (१)पैली दीठ विण तीन जणा री है जिण रो सार हैं, कोइ काम वै सकै या कोनी वै सकै इण ने आप विग्यानिक दीठ कैय सको ।(२)दूजी दीठ चौथोडा़ मोट्यार री ही के कोइ काम वैणो चाहिजै कै नी वैणो चाहिजै इण ने आप नीति री दीठ या दार्शनिक दीठ कैय सको । मिनखा जूण में कुण सी दीठ कितरी मेहताउ हैं, इण माथै बि़चार करावाड़ो ।बाकी री बात काले करांला भगवान सिंह खारी