मारवाङी कविता-
दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।
इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।
टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।
देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।
साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।
धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, 'मेगी' चावल चून खायगी ॥
राग रागनी फिल्मा खागी, 'सीडी' खागी गाणा ने ॥
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥
गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, 'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥
चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥
बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥
गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥
राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥
हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥
नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥
धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥
दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥
मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥
अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥
भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ॥
राजस्थानी की रचनाये चुटकुले कविताये rajasthani marwari jodhpuri kahawate jokes gk poems facts
सोमवार, 7 सितंबर 2015
फूट चाटगी भायाँ ने
रविवार, 6 सितंबर 2015
माहरो पाडो
शुक्रवार, 4 सितंबर 2015
घणी घणी बधाईयां
आप सगळां ने म्हारे अंतस सूं शिक्षक दिवस अर जनम आटम (किसन जी रे जनम दिन)) री घणी घणी बधाईयां आ घणी सांतरी बात छै के देस में सरकारी शिक्षक दिवस हैं अर जगत रे गुरू कान्हे रो जनम दिन छै (क्रिष्णम् वन्दे जगद गुरूं) इण मोके अैक बात मन मांय आयी के गुरू जी रो मान सनमान करण री रीत आपणे देस में जुगों जुगों चाल री हैं जिण ने आपां गुरू पूनम कैवौ इण दिन सगळा गुरू जी री पूजा करे पछै ओ शिक्षक दिवस न्यारो किण कारण इण सूं जको बात म्हारे समझ आयी गुरू अर शिक्षक न्यारा न्यारा हैं दूजी बात आज रा शिक्षक गुरू जी नीं हैं आ बात पकी वै जावै खैर इण बात रो पडूतर तो घणा भणिया पडिया मानवी दे सके पण अैक ब़ात जका म्हे निजर करणी चाहूं वा आ हैं कै शिक्षक किण ने कैवे? कांइ आज रा शिक्षक साचा अरथ में शिक्षक हैं? इण पर विचार करावाड़ो तो शिक्षक कुण हैं? जको आपरी जाणकारी, आपरी अक्ल हुसियारी, अर भमेक (विवेक) सूं आवळ वाळी पीढी ने सुतन्तर रूप जीवन में उजास लाण री सीख दे सके इणी ज भांत करमचारी कुण? जको कहयोड़ो कांम करे (भळायोडो काम करे) विण ने आप रे काम री रीत नीत अर रंग ढंग बणा वण अधिकार कोनी व्है इण दीठ सूं दैखा तो आज रा शिक्षक करमचारी कहया जा सके,, कारण पोशाळाओं रो समै (टेम) राजनेता तै करे ", ० भणन पढण री बाबत काइ सामग्री (पाठ्क्रम) व्है सी सरकार तै करसी शिक्षक लैवण री रीत नीत मोटोड़ा अफसर तै करसी, शिक्षक पोशाळ में कांइ करसी आ ब़ात राज नेता तै करसी (पढाणो हैं के, रोटी बाटी रो हिसाब किताब राखणो,, के ढोर गिणना ,, मिनख गिणना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, )) पोशाळ में छुट्टियां कद रैसी राज नेता तै करसी,,,,,,, किण इलाका रा टाबरो ने घर घर जाय ने शिक्षक पोशाळ में लावेला आ बात उपर सूं तै व्हैसी,,,, , गिणती घणी लांबी व्है जासी, मिनखां मूळ में इण बात रो विचार करो सुतन्तर भारत में जितरा प्रयोग भणाइ पढाइ रै मेकमे (विभाग) में विया जितरा दूजा कठैइ नी विया पण इण रो फ़ळ चायो जैडो कोनी मिळियो इण रो कारण कांइ है(१)जैडो राज आयो आपरै मुजब वेडी सगळी बातां बदळदी (२)आज री जका पढाइ री रीत नीत हैं जका आपणी परम्परा ने पोखण वाळी कोनी जका शिक्षा समाज री संस्क्रती उणरा उजळा पख,, ने उघाड़ अर दुनिया रे सामी नी लाय सके वा लोगो रे हिये नी ढूके इण दीठ सूं आ उधार लियोडी विवस्था (व्यवस्था) जमी कोनी,,, (३)सबसूं जरूरी बात माथै ध्यान नी जावै वा आ हैं के शिक्षा ने राज सता रे नीचे करदी भारत देस में जुगों जुगों सूं राज री सत्ता सूं. शिक्षक हमेश ऊचों रियो हैं, (राम रो राज, चंद्रगुप्त मौर्य,) जद जद भारत में ही राज सता शिक्षक ने करमचारी बणायो, तद विकास री जगै भिणाश (विनाश) ही वियो, द्रोणाचारज (द्रोणाचार्य) इण री बानगी हैं विग्यान ने अणूती उचाई माथै पूगायां पछै मिनखां रो खोगाळ वियो कारण के राज सता ने मारग बतावण वाळो शिक्षक करमचारी बणगो इण टाणे अे बातां म्हारे मन में उफण गी आप मन रा मेळू हो इण खातर आप तांइ पूगाय दी
आख़री टेम
एक बार एक हरियाणा का ताऊ मरणासन की कंडीशन में पहुँच गया
घर वालो ने कहा -- ताऊ आख़री टेम आ लिया ....इब तो राम का नाम ले ले
ताऊ बोल्या -- इब नाम के लेणा
....10 -15 मिनिट बाद आमना सामना
होलेगा
उबो उबो
टीचर- थारी हाज़री घणी कम है। तू एग्जाम में नी बई सके....
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पिंटियो- कोइ वात नी।
ओपणे अतरो घमंड नी है। मु तो उबो उबो ही परीक्षा परी दऊ ।
?
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
मंगता
मारवाड़ी व्यक्ति ने रेल में खाने का डिब्बा खोला और चूरमा खाने लगा पास में बैठे अंग्रेज ने पुछा - (what ) "वॉट" वॉट.
मारवाडी बोला बॉटवा वास्ते नही है खावा वास्ते लाया हूँ.......मंगता
गरूड़ पुराण
मारवाड़ के दो व्यक्ती रामा और शामा मुम्बई मे 50 वीं मंजिल पर खड़े बात कर रहे थे ।
रामा - काँई रे शामा !
शामा- काँई ?
रामा - काँई रे अटू निचे पड़ जावां तो काँई वंचे....
शामा - काँई नी वंचे
रामा - नी यार थोड़ो घणों कई तो वंचे
शामा - अठे तो कई नी वंचे पर
घरे गरूड़ पुराण जरूर वंचे.