सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

राठोड़ राजपूतो - की उत्तपति

||जय माँ नागणेच्या री ||
आज हम आप सब को राठौड़ राजपूतो के वारे मे
परिचय करा रहे हैं, आशा हैं आपको पोस्ट पसन्द आयेगी

राठोड़ राजपूतो - की उत्तपति सूर्यवंशी राजा के
राठ (रीढ़) से उत्तपन बालक से हुई है इस लिए ये राठोड कहलाये,
राठोरो की वंशावली मे
उनकी राजधानी कर्नाट और कन्नोज बतलाई गयी है!
राठोड सेतराग जी के पुत्र राव सीहा जी थे!
मारवाड़ के राठोड़ उन ही के वंशज है! राव सीहा जी ने करीब
700 वर्ष पूर्व द्वारिका यात्रा के दोरान मारवाड़ मे आये और
राठोड वंश की नीव रखी! राव सीहा जी राठोरो के आदि
पुरुष थे !
अर्वाचीन राठोड शाखाएँ खेडेचा, महेचा , बाडमेरा , जोधा ,
मंडला , धांधल ,
बदावत , बणीरोत , चांदावत , दुदावत , मेड़तिया ,
चापावत , उदावत , कुम्पावत , जेतावत , करमसोत बड़ा ,
करमसोत छोटा , हल सुन्डिया , पत्तावत , भादावत , पोथल ,
सांडावत , बाढेल , कोटेचा , जैतमालोत , खोखर , वानर ,
वासेचा , सुडावत , गोगादे , पुनावत , सतावत , चाचकिया ,
परावत , चुंडावत , देवराज , रायपालोत , भारमलोत , बाला ,
कल्लावत , पोकरना . गायनेचा , शोभायत , करनोत ,पपलिया ,
कोटडिया , डोडिया , गहरवार , बुंदेला ,
रकेवार , बढ़वाल , हतुंधिया , कन्नोजिया , सींथल , ऊहड़ ,
धुहडिया , दनेश्वरा , बीकावत , भादावत ,बिदावत आदि……
राठोड वंश
Vansh – Suryavanshi
वेद – यजुर्वेद
शाखा – दानेसरा
गोत्र – कश्यप
गुरु – शुक्राचार्य
देवी – नाग्नेचिया
पर्वत – मरुपात
नगारा – विरद रंणबंका
हाथी – मुकना
घोड़ा – पिला (सावकर्ण/श्यामकर्ण)
घटा – तोप तम्बू
झंडा – गगनचुम्बी
साडी – नीम की
तलवार – रण कँगण
ईष्ट – शिव का
तोप – द्न्कालु
धनुष – वान्सरी
निकाश – शोणितपुर (दानापुर)
बास – कासी, कन्नोज, कांगडा राज्य, शोणितपुर,
त्रिपुरा, पाली, मंडोवर, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़,
इडर, हिम्मतनगर, रतलाम, रुलाना, सीतामऊ, झाबुबा,
कुशलगढ़, बागली, जिला-मालासी,
अजमेरा आदि ठिकाना दानसेरा शाखा का है
दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार।
सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार।।
व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ !
गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !!
दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण।
बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण॥

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