सोमवार, 12 अक्तूबर 2015

'भावुक' थारा भावां ने

दूध दही ने चाय चाटगी,
फूट चाटगी भायाँ ने ।।

इंटरनेट डाक ने चरगी,
भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।

टेलीफोन मोबाईल चरग्या,
नरसां चरगी दायाँ ने ।।

देखो मर्दों फैसन फटको,
चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।

साड़ी ने सल्वारां खायगी,
धोतीने पतलून खायगी ।।

धर्मशाल ने होटल खायगी,
नायाँ ने सैलून खायगी ।।

ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या,
'मेगी' चावल चून खायगी ॥

राग रागनी फिल्मा खागी,
'सीडी' खागी गाणा ने ॥

टेलीविज़न सबने खाग्यो,
गाणे ओर बजाणे ने ॥

गोबर खाद यूरिया खागी,
गैस खायगी छाणा ने ॥

पुरसगारा ने बेटर खाग्या,
'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥

चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो,
जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥

बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥

गोरमिंट चोआनी खागी,
हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥

राजनीती घर घर ने खागी,
नेता चरगया रूपया ने ॥

मारवाड़ी ने हिंदी खागी,
भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥

नदी नीर ने कचरो खाग्यो,
रेत गई रेठाणे में ॥

धरती ने धिंगान्या खाग्या,
पुलिस खायरी थाणे ने ॥

दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी,
सार नहीं समझाणे में ॥

मंहगाई सगळां ने खागी,
देख्या सुण्या नेताओ ने ॥

अहंकार अपणायत खागी,
बेटा खाग्या मावां ने ॥

भावुक बन कविताई खागी,
'भावुक' थारा भावां ने

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