शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

काले जठे बात रोकी

काले जठे बात रोकी, वठां सूं आगे चालां तो आ बात पकड़ में आवै के, इण जगत में दोय दीठ परा परी सूं चालै ।एक दीठ जका भारत री भोम में जलम लेयने आखै जगत में फैली । इण ने दार्शनिक दीठ कैय सको । इण दीठ सूं आ स्रीष्टी भगवान री माया हैं । अर  आ सगळी जीवा जूंण इसर रो रूप हैं । इण में सगळा अैक दूजा सांरू घणा मेहताउ अर घणा उपयोगी हैं । इण  दीठ   रो नतीजो ओ वियो के आपणे देस में केतान जुगां सूं प्रकृती री पूजा करां । अर प्रकृती ने देव मांनां अर इण री घणी रूखाळी कर इण ने पोखण रो काम करा । आ रीत आपणे अठे लगे टगै लारलै दस पनरा हजार बरसां  सूं चाल री हैं । आ बात इण सूं पुख्ता व्है जावै के आपां रूखां में देव री गिणती में राखां । जळ अर थळ में देव रो वासो मानां, सूरज अर चांद ने पूजा । बडेरा तो अन्न ने ही अन्न देव कैवता । अठे इण बात रो खुलासो करणो ठीक रैसी  के देव विणनै कैवै जको आप री सगळी चीज दैवतो रैवै । इण दीठ सूं आखी प्रकृती खुद रे खातिर  रती भर चीज कोनी राखै । आखी प्रकृती रो उपयोग मानखो इज करे ।अठे इण बात माथै घणौ ऊंडो ध्यान दिरावो  के प्रकृती रो उपयोग व्है, उपभोग नी व्है । इण आखरा माथै एकर ऊंडो बि़चार करां तो आ बात साफ हैं, के उपयोग में कोइ वस्तु जुडै़ । योग रो मतळब जुड़नै सूं हैं । पण उपभोग रो मतळब किणी चीज रो नाश व्हैण सूं, या खतम वेवण सूं लखावे । पण इण दिनां जगत में इण दीठ रो लोप व्है रह्यो हैं । अर दूजोडी़ दीठ जिणने विग्यानिक ( वैज्ञानिक ) दीठ कैवां विण रो बाधैपे घणो निजर आवै । इण दीठ सूं आ प्रकृती अणु परमाणुवां सूं आपो आप उपन्योडी़ हैं, इण रो जितरो उपभोग कर सको, वितरो करो । कितरो  उपभोग  करणो चाहिजै इण रो सोचण रो काम आपणो कोनी । अर उपयोग अर उपभोग रे लफडै़ में पड़ण री जरूरत कोनी । आ दीठ आथूणा देसां सूं आपणे अठे आयी  अर इण टैम घणी फळ फूल री हैं । विग्यानिक आखै जगत ने न्यारो न्यारो मान अर इण रो घणा सूं घणो उपभोग चावै । इण रो नतीजो ओ वियो  के मिनख री नीत पूरी तरै सूं बिगड़गी । अर वौ प्रकृती सूं खिळवाड़ करण लाग गो । विण रे भोग री कोइ माठ इ कोनी रही । मिनख दूजी सगळी जीवा जूंण अर प्रकृती रे पिरवार ने आप रे भोग री वस्तु बणाय ली । आज मानखे रे भोग भोगण री लालसा रो कोइ छै हैं न कोइ पार । आज रो मानखो इण में पूरी तरिया उळजियोडो निजर आवै । अैडी़ आंधी दौड़ शरु कर दिनी  वा कठै ठमैला किणी ठा कोनी । सगळा न्यारा न्यारा दौडे़ कठै इ भैळप निजर कोनी आवै । च्यारू मेर विग्यानिक खोज सूं अणमाप भोग री चीजो सूं बजार भरीया पड़िया हैं , पण नित नुवीं वस्तुओ आय री हैं । म्हारी मनसा आपने बजार में मेलण री कोनी, मैं फगत आप रो ध्यान इण बात माथै दिरावणी चावूं के आ दीठ ठीक हैं के गलत  । इण माथै ब़िचार करां । सबसूं पैली शरीर विग्यान री बात, हर अंग रा न्यारा न्यारा डाकटर इण सूं जद एक बिमारी रो इलाज करांवा तो दूजी माडाणी पनप जावै । इण री बानगी दैखावो   बी. पी. री दवा हिरदै माथै असर करसी, पीड़ रो दरद मिटावण वाळी दवा गुड़दा ने खराब करसी, इण भांत इण में घणी गबागब हैं । पण आंपां ने ठा लागै कोनी अर डाकटर साब बतावै कोनी । दूजी दीठ बजार माथै न्हाळो इण री बानगी दैखावो । एक फटफटियो (मोटर साइकल) बणावण कम्पनी ने आप रे बणायोडा़ सगळा फटफटियो ने बजार में बैचणा हैं । इण वास्ते इण ने ग्राहक घणा चाहिजै ला, जद वा एक पिरवार रे जणा दीठ फटफटियो बैचण कोसिस करसी , इण खातिर करजो दैसी, अर पूरै पिरवार ने तोड़ण री पक्की कोसिस करसी  । अबे फटफटियो ने दोड़ण खातर तैल री जरूरत व्हैसी , जद फेरूं करज री जरूरत, इण भांत घर ग्रस्थी री सगळी चीजो रे वास्ते करजो लेवणो पड़सी । आथूणा देसां  रो आज इण वास्ते दैवाळो निकळतो निजर आवै ।पण बजार वाद री आ भूख अबे होळै होळै आंपणे माय बड़ती दिसै । मांयता रे लायोडी चीजो टाबरां ने दाय कोनी आवै, मोटा टाबर छोरू ने आधी रात तांइ बारै फिरण री वकालत रे लारै बजार रो मोटो हाथ हैं । आज तीज तिंवार किकर मनाइजैला बजार तै करे, ब्रत, तीरथ सगळा बजार सूं तै वै । आज तो अैडो़ लखावे के बजार घर मांय बड़गो, के घर खुद बजार बणगो ।

" आज राग बिकै, रंग बिकै, आज मिनख रा अंग बिकै ।      आज किराया साठे कोख मिळै, अर आज मायड़ रो दूध बिकै ।। "

आज अणमाप भोग री वस्तुओ रे बिचाळै, अणधापण वाळी मनसा लियो मानखो कठै जासी इण बात माथै बि़चार करण री जरूरत हैं ।         
        भगवान सिंह, खारी

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